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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य सरकार एक ‘ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रंटियर टेक्नोलॉजी’ (Global Institute for Frontier Technologies) स्थापित करने की योजना बना रही है। यह संस्थान न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अत्याधुनिक तकनीकी अनुसंधान और नवाचार का केंद्र बनेगा। फडणवीस ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य महाराष्ट्र को देश का “टेक्नोलॉजी हब” बनाना है, जहां भविष्य की तकनीकें विकसित और प्रशिक्षित की जाएंगी।
उन्होंने बताया कि यह संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स, साइबर सुरक्षा और नैनो टेक्नोलॉजी जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में शिक्षा, रिसर्च और इंडस्ट्री सहयोग को प्रोत्साहित करेगा। फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही इसके लिए एक विस्तृत नीति और कार्ययोजना तैयार करेगी।
फडणवीस ने यह घोषणा एक तकनीकी सम्मेलन के दौरान की, जहां देश-विदेश के कई वैज्ञानिक, उद्यमी और उद्योग जगत के विशेषज्ञ मौजूद थे। उन्होंने कहा कि भारत तेजी से तकनीकी शक्ति के रूप में उभर रहा है, और महाराष्ट्र इस परिवर्तन का नेतृत्व करना चाहता है। “भविष्य की अर्थव्यवस्था ज्ञान और तकनीक पर आधारित होगी। हमें अपने युवाओं को उसी दिशा में तैयार करना होगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे बताया कि इस ग्लोबल इंस्टीट्यूट का उद्देश्य केवल अकादमिक शिक्षा तक सीमित नहीं होगा, बल्कि यह इंडस्ट्री और रिसर्च के बीच एक सेतु का काम करेगा। यहां छात्र और शोधकर्ता एक साथ मिलकर नए इनोवेशन और उत्पाद विकसित कर सकेंगे। इसके अलावा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर उन्नत तकनीकों के व्यावहारिक प्रयोग पर भी काम किया जाएगा।
महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षों में AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे। इसलिए यह संस्थान राज्य के युवाओं को वैश्विक स्तर की स्किल्स देने में मदद करेगा। इसके लिए सरकार केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ भी सहयोग की संभावनाएं तलाश रही है।
इस संस्थान की स्थापना के लिए मुंबई, पुणे और नागपुर को संभावित स्थानों के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक चरण में यह संस्थान लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जा सकता है। बाद में इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर विस्तार दिया जाएगा, ताकि निजी निवेश और वैश्विक भागीदारी को बढ़ावा मिल सके।
फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र पहले से ही आईटी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अग्रणी रहा है, और अब समय है कि वह उभरती हुई तकनीकों में भी नेतृत्व की भूमिका निभाए। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपने अनुसंधान केंद्र स्थापित करने में रुचि दिखा रही हैं, और नया संस्थान इस दिशा में एक ठोस आधार तैयार करेगा।
राज्य सरकार का मानना है कि इस संस्थान से न केवल शिक्षा और शोध में नई दिशा मिलेगी, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन मिलेगा, और नए रोजगार अवसर सृजित होंगे। साथ ही, महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए यह एक “नॉलेज नेटवर्क” के रूप में काम करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना सफल होती है, तो महाराष्ट्र देश का पहला राज्य होगा जिसने फ्रंटियर टेक्नोलॉजी के लिए समर्पित एक वैश्विक संस्थान स्थापित किया है। यह न केवल राज्य की पहचान को बदल देगा, बल्कि भारत को वैश्विक टेक्नोलॉजी इनोवेशन के मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाएगा।
महाराष्ट्र सरकार आने वाले बजट सत्र में इस परियोजना को औपचारिक मंजूरी देने की तैयारी में है। फडणवीस ने विश्वास जताया कि इस संस्थान की स्थापना से राज्य के तकनीकी भविष्य की मजबूत नींव रखी जाएगी और महाराष्ट्र “न्यू इंडिया” के टेक्नोलॉजिकल इंजन के रूप में उभरेगा।








