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    पतंजलि और IARI की साझेदारी से मिट्टी होगी सेहतमंद, ‘स्वस्थ धरा अभियान’ से बढ़ेगा टिकाऊ कृषि का दायरा

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    भारत की कृषि प्रणाली एक नए युग की ओर कदम बढ़ा रही है। पतंजलि ऑर्गेनिक्स और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने संयुक्त रूप से एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है ‘स्वस्थ धरा अभियान’ (Swasth Dhara Initiative)। इस अभियान का उद्देश्य है मिट्टी की सेहत में सुधार लाना, टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना और किसानों को दीर्घकालिक रूप से लाभ पहुंचाना।

    देशभर में मिट्टी की गुणवत्ता लगातार घट रही है। अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी की उपज क्षमता प्रभावित हो रही है, जिससे न केवल फसलों की गुणवत्ता कम हो रही है बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इसी चुनौती को देखते हुए पतंजलि और IARI ने मिलकर ‘स्वस्थ धरा’ अभियान की शुरुआत की है, जो सतत कृषि (Sustainable Agriculture) की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

    पतंजलि ऑर्गेनिक्स के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने इस पहल की घोषणा करते हुए कहा कि, “भारत की मिट्टी हमारी मातृभूमि की आत्मा है। अगर मिट्टी बीमार हो जाएगी तो हमारी कृषि और किसान दोनों प्रभावित होंगे। इसलिए यह जरूरी है कि हम उसे प्राकृतिक तरीकों से फिर से स्वस्थ बनाएं। ‘स्वस्थ धरा’ अभियान इसी सोच का परिणाम है।”

    इस पहल के तहत, पतंजलि और IARI मिलकर देश के विभिन्न कृषि प्रधान राज्यों में मिट्टी की जाँच, जैविक सुधार, और नैचुरल फर्टिलाइजर के उपयोग को बढ़ावा देंगे। IARI के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस साझेदारी के माध्यम से किसानों को वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान का संतुलित मिश्रण मिलेगा, जिससे खेती अधिक उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बन सकेगी।

    इस पहल का मुख्य फोकस मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के साथ-साथ किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) की ओर प्रेरित करना है। इस अभियान के अंतर्गत पतंजलि ऑर्गेनिक्स विशेष रूप से विकसित जैव उर्वरक और प्राकृतिक कंपोस्ट उत्पादों का उपयोग करेगी, जो पूरी तरह से केमिकल-फ्री होंगे। इनसे मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ेगी, जिससे फसलों की वृद्धि प्राकृतिक रूप से होगी।

    IARI के निदेशक ने बताया कि यह साझेदारी सिर्फ अनुसंधान या प्रयोग तक सीमित नहीं रहेगी। इसका उद्देश्य किसानों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाना है। इसके लिए देशभर के 50,000 से अधिक किसानों को पहले चरण में प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को मिट्टी की जाँच, जैविक उर्वरकों के उपयोग, जल प्रबंधन और प्राकृतिक कीट नियंत्रण की तकनीकें सिखाई जाएंगी।

    ‘स्वस्थ धरा’ अभियान का एक और महत्वपूर्ण पहलू है मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) कार्यक्रम को सशक्त बनाना। पतंजलि और IARI मिलकर ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं, जिससे किसान अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण खुद कर सकेंगे। इसके लिए एक मोबाइल एप और डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है, जहां किसान मिट्टी की रिपोर्ट और आवश्यक सुधार उपाय देख सकेंगे।

    पतंजलि समूह पहले से ही देशभर में प्राकृतिक और जैविक उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है। अब IARI के सहयोग से यह अभियान राष्ट्रीय स्तर पर मिट्टी संरक्षण और पर्यावरण सुधार के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। दोनों संस्थाएं आने वाले वर्षों में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले जाने की योजना बना रही हैं, ताकि भारत को वैश्विक ऑर्गेनिक हब के रूप में पहचान मिल सके।

    विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस अभियान को प्रभावी रूप से लागू किया गया तो भारत में कृषि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होगा। साथ ही, रासायनिक खादों पर निर्भरता घटेगी और किसानों की लागत में भी कमी आएगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी।

    पर्यावरणविदों के अनुसार, यह पहल जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद करेगी। जैविक खेती कार्बन उत्सर्जन को कम करती है और मिट्टी में कार्बन भंडारण को बढ़ाती है। इससे मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है और सूखे की संभावना घटती है।

    ‘स्वस्थ धरा’ अभियान सिर्फ मिट्टी सुधार का नहीं, बल्कि एक आर्थिक, पारिस्थितिक और सामाजिक क्रांति की शुरुआत है। जब किसान अपनी भूमि को स्वस्थ रखेंगे, तो उनकी फसलें बेहतर होंगी, पर्यावरण संतुलित रहेगा और आने वाली पीढ़ियां एक हरित भारत का सपना साकार करेंगी।

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