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    गायत्री मंत्र वाला सिक्का: मोदी सरकार जारी करने जा रही 150 रुपये का विशेष स्मारक सिक्का, पहली बार देवनागरी में अंकित होगा मंत्र

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    भारत सरकार एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। मोदी सरकार जल्द ही एक विशेष 150 रुपये का स्मारक सिक्का (Commemorative Coin) जारी करने वाली है, जिसकी सबसे खास बात यह है कि इस सिक्के पर पहली बार देवनागरी लिपि में ‘गायत्री मंत्र’ अंकित किया जाएगा। यह सिक्का भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता के गहरे संदेश को दर्शाने वाला होगा।

    जानकारी के अनुसार, यह सिक्का भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा और इसका निर्माण भारत सरकार टकसाल (मिंट) में किया जाएगा। सिक्के का विमोचन एक विशेष समारोह में किया जाएगा, जिसमें वित्त मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। इस सिक्के को भारतीय जनता के लिए न केवल मुद्रा के प्रतीक के रूप में, बल्कि आस्था, संस्कार और सांस्कृतिक गर्व के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है।

    सिक्के की डिजाइन और विशेषता

    150 रुपये के इस स्मारक सिक्के का वजन लगभग 35 ग्राम होगा और यह रजत मिश्र धातु (Silver Alloy) से बनाया जाएगा। सिक्के के एक तरफ अशोक स्तंभ का चिह्न होगा, जबकि दूसरी ओर देवनागरी में लिखा ‘गायत्री मंत्र’ अंकित रहेगा। मंत्र के नीचे सूक्ष्म अक्षरों में “150 रुपये” और “भारत सरकार” लिखा जाएगा।

    यह पहली बार है जब भारतीय मुद्रा में किसी धार्मिक मंत्र को इस तरह अंकित किया जा रहा है। इस पहल को भारत की संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को सम्मान देने के रूप में देखा जा रहा है। सिक्के की डिजाइन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय के संयुक्त परामर्श से तैयार की गई है।

    क्यों खास है गायत्री मंत्र

    गायत्री मंत्र हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन और शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। ऋग्वेद में वर्णित यह मंत्र ज्ञान, ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। यह सूर्य देव को समर्पित है और इसका उच्चारण मनुष्य के बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए किया जाता है।

    मंत्र इस प्रकार है:
    “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”

    इस मंत्र के सिक्के पर अंकित होने का अर्थ केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि यह भारत की उस गहरी सभ्यता को सम्मान देने का संकेत है जिसने दुनिया को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया।

    सरकार की मंशा और प्रतीकात्मक महत्व

    मोदी सरकार की यह पहल भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा को आधुनिक संदर्भों में पुनर्जीवित करने की दिशा में एक और कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार सार्वजनिक मंचों पर कह चुके हैं कि भारत की ताकत उसकी संस्कृति और आध्यात्मिकता में निहित है।

    इस सिक्के को जारी करने का उद्देश्य लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ना और नई पीढ़ी को भारतीय मूल्यों का संदेश देना है। साथ ही, यह सिक्का उन संग्रहकर्ताओं और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक बहुमूल्य स्मृति साबित होगा।

    वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यह सिक्का सीमित संख्या में जारी किया जाएगा और इसे स्मारक के रूप में बेचा जाएगा। इसे आम मुद्रा की तरह बाजार में चलन में नहीं लाया जाएगा, बल्कि इसे विशेष संग्रहण (collector’s edition) के रूप में रखा जाएगा।

    पूर्व में जारी किए गए विशेष सिक्के

    यह पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार ने किसी विशेष अवसर पर स्मारक सिक्का जारी किया हो। इससे पहले सरकार ने सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, और अमृत महोत्सव जैसे अवसरों पर भी विशेष सिक्के जारी किए थे। लेकिन गायत्री मंत्र वाला यह सिक्का इन सबमें सबसे विशेष माना जा रहा है क्योंकि यह आध्यात्मिकता और राष्ट्रभावना का संगम है।

    सांस्कृतिक और वैश्विक संदेश

    भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता जीवन का हिस्सा हैं। ऐसे में गायत्री मंत्र वाला सिक्का केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक सांस्कृतिक संदेश लेकर आएगा — कि भारत आधुनिकता की राह पर चलते हुए भी अपनी परंपराओं को नहीं भूलता।

    यह सिक्का आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा, जो यह बताएगा कि भारत की आत्मा उसकी सभ्यता, संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों में बसती है।

    150 रुपये का गायत्री मंत्र वाला यह विशेष स्मारक सिक्का भारत की आत्मा, उसकी संस्कृति और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बनने जा रहा है। यह केवल धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि उस विचार का प्रतीक है जो कहता है — “भारत बदल रहा है, पर अपनी जड़ों को नहीं भूल रहा।”

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