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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नई दिल्ली में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के युवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए देश के प्रशासनिक तंत्र में समर्पण और जिम्मेदारी की भावना को सर्वोच्च बताया। उन्होंने कहा कि “विधि का शासन और उसका प्रभावी कार्यान्वयन” न केवल एक लोकतांत्रिक व्यवस्था की पहचान है बल्कि यह विकसित भारत 2047 की यात्रा का भी मूल आधार है।
ओम बिरला ने अधिकारियों को यह संदेश दिया कि वे केवल कानून के रखवाले नहीं, बल्कि समाज में विश्वास और न्याय की भावना के संवाहक भी हैं। उन्होंने कहा, “भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में जनता की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करना ही वास्तविक राष्ट्र सेवा है। जब जनता को यह भरोसा हो जाता है कि कानून सबके लिए समान है, तभी लोकतंत्र मजबूत बनता है।”
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत आज एक निर्णायक दौर में है, जहां देश तेज़ी से आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के पथ पर आगे बढ़ रहा है। इस परिवर्तन को स्थायी और समावेशी बनाने के लिए विधि व्यवस्था की मजबूती जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों से कहा, “आप जिस भी क्षेत्र में तैनात हों, वहां जनता का भरोसा जीतना ही आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।”
ओम बिरला ने आईपीएस अधिकारियों को सलाह दी कि वे प्रशासनिक अधिकारों का उपयोग जनहित में करें और पुलिसिंग को केवल कानून लागू करने का माध्यम न समझें, बल्कि इसे सेवा और संवेदनशीलता का प्रतीक बनाएं। उन्होंने कहा कि पुलिस का व्यवहार नागरिकों के प्रति जितना मानवीय होगा, उतनी ही ज्यादा पुलिस की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक भारत में पुलिस प्रशासन को केवल अपराध नियंत्रण तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसे सामाजिक समरसता, डिजिटल सुरक्षा और साइबर अपराधों से निपटने जैसे क्षेत्रों में भी दक्ष बनना होगा। उन्होंने कहा कि नई तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में कानून व्यवस्था को भी उसी गति से अपडेट रहना चाहिए, ताकि अपराधी प्रवृत्तियों पर पहले से नियंत्रण किया जा सके।
ओम बिरला ने संविधान का उल्लेख करते हुए कहा कि हर अधिकारी को अपने कार्यों में संविधान की भावना को प्रतिबिंबित करना चाहिए। उन्होंने कहा, “संविधान केवल किताब नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत दस्तावेज है, जो हर प्रशासनिक निर्णय में मार्गदर्शन देता है। इसलिए हर आईपीएस अधिकारी को यह समझना चाहिए कि उसकी हर कार्रवाई का असर आम नागरिकों के जीवन पर पड़ता है।”
लोकसभा अध्यक्ष ने इस अवसर पर राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की भूमिका की भी सराहना की, जो देश के लिए उत्कृष्ट और संवेदनशील पुलिस अधिकारियों को तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि देश को ऐसे अधिकारियों की जरूरत है जो न केवल सशक्त कानून व्यवस्था के प्रहरी बनें, बल्कि जनता की भावनाओं को भी समझें।
उन्होंने कहा कि आने वाले 25 वर्ष भारत के लिए ‘अमृत काल’ हैं और इस दौरान हर सरकारी अधिकारी, विशेष रूप से पुलिस सेवा से जुड़े अधिकारी, देश के विकास में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। ओम बिरला ने यह भी कहा कि “विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब हमारे प्रशासनिक अधिकारी अपने कर्तव्यों को समर्पण, ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ निभाएंगे।”
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने अधिकारियों को प्रेरित करते हुए कहा —
“आपका काम केवल अपराधियों को सज़ा देना नहीं है, बल्कि समाज में न्याय, विश्वास और सुरक्षा की भावना को स्थापित करना है। जब नागरिक निर्भय होकर जीवन जी सके, तब ही हम कह सकते हैं कि विधि का शासन सफल हुआ है।”
उनके इस प्रेरक संदेश को उपस्थित युवा अधिकारियों ने बड़ी रुचि से सुना। ओम बिरला का यह संबोधन न केवल प्रशासनिक अधिकारियों के लिए मार्गदर्शन है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक याद दिलाने वाला संदेश है कि कानून का शासन ही किसी भी राष्ट्र के विकास और स्थिरता की असली नींव होता है।

 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		




