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    8वें वेतन आयोग पर कर्मचारियों की बढ़ी उम्मीदें, लेकिन फायदे के लिए करना पड़ सकता है 3 साल का लंबा इंतजार

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    केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बहुप्रतीक्षित 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद एक बार फिर सुर्खियों में है। हालांकि, जहां एक तरफ कर्मचारियों के चेहरे पर वेतन बढ़ने की उम्मीद से मुस्कान है, वहीं दूसरी ओर खबर यह भी है कि उन्हें इसके लाभ का इंतजार अभी लंबा करना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें और उनके आधार पर नई सैलरी स्ट्रक्चर को लागू करने में कम से कम तीन साल लग सकते हैं।

    सरकार ने आधिकारिक रूप से 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है और वित्त मंत्रालय ने इसके गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग का गठन 2025 की शुरुआत में किया जाएगा और इसके सदस्य विभिन्न आर्थिक और प्रशासनिक विशेषज्ञ होंगे। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वेतन संरचना, भत्तों, और पेंशन की समीक्षा करेगा। लेकिन जैसे हर वेतन आयोग में होता आया है, रिपोर्ट तैयार करने और उसकी सिफारिशों को लागू करने में वर्षों लग जाते हैं।

    विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में कम से कम 18 महीने का समय लगेगा। इसके बाद इसे केंद्र सरकार की समीक्षा के लिए भेजा जाएगा। बजट और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, इसे लागू करने में 2028 तक का समय लग सकता है। यानी, कर्मचारियों को इसके वास्तविक लाभ के लिए अभी तीन साल तक इंतजार करना पड़ सकता है।

    आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि सरकार फिलहाल महंगाई भत्ता (DA) और अन्य भत्तों के जरिए वेतन असमानता को संतुलित करने की कोशिश कर रही है। इसलिए 8वें वेतन आयोग को तुरंत लागू करने का दबाव नहीं है। वहीं, आने वाले वर्षों में सरकार का ध्यान राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को नियंत्रित रखने पर भी रहेगा। यदि वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्दी लागू किया गया तो इसका असर सरकारी खजाने पर भारी पड़ेगा।

    केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या करीब 48 लाख है, जबकि 68 लाख से अधिक पेंशनभोगी इससे प्रभावित होते हैं। इस लिहाज से 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना सरकार के लिए एक बड़ा वित्तीय कदम होगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसे लागू करने के बाद सरकार पर सालाना 2.5 लाख करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। यही कारण है कि सरकार इस पर सोच-समझकर कदम बढ़ा रही है।

    हालांकि, कर्मचारी संगठनों ने सरकार से जल्द से जल्द आयोग की रिपोर्ट पेश करने और इसे 2026 से लागू करने की मांग की है। उनका कहना है कि लगातार बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की लागत के कारण मौजूदा वेतन संरचना कर्मचारियों के अनुरूप नहीं रह गई है। कई राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने भी केंद्र से अनुरोध किया है कि आयोग की प्रक्रिया को तेज किया जाए।

    वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार की प्राथमिकता अभी रिपोर्ट तैयार करने पर है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि रिपोर्ट ठोस और व्यापक हो। इसे जल्दबाजी में लाने से कर्मचारियों के हितों को नुकसान हो सकता है। सभी वर्गों के हितों को देखते हुए एक संतुलित प्रस्ताव लाया जाएगा।”

    दूसरी ओर, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर 8वां वेतन आयोग 2028 में लागू होता है, तो यह कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा। उम्मीद है कि इस आयोग में Pay Matrix Structure में संशोधन होगा और न्यूनतम बेसिक सैलरी को ₹26,000 से बढ़ाकर ₹30,000 किया जा सकता है। वहीं, भत्तों और पेंशन में भी 25–30% तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

    अगर ऐसा होता है, तो यह न केवल केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बल्कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए भी राहत भरा कदम साबित होगा, क्योंकि कई राज्य अपने वेतन ढांचे को केंद्र की सिफारिशों के अनुसार संशोधित करते हैं।

    कुल मिलाकर, 8वें वेतन आयोग की मंजूरी ने जहां कर्मचारियों में नई उम्मीदें जगाई हैं, वहीं देरी की खबर ने उनके उत्साह को थोड़ा कम कर दिया है। लेकिन एक बात तय है कि आने वाले कुछ वर्षों में जब यह आयोग अपनी सिफारिशें लागू करेगा, तो केंद्रीय कर्मचारियों की आय में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा।

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