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उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में अवैध धर्मांतरण को लेकर हाल ही में सामने आए मामले ने शहर की सामाजिक और राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है। इस कांड में शामिल मुख्य आरोपी पास्टर कंचन मित्तल और अमित चावला की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है, जिससे स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों में आक्रोश बढ़ गया है।
विशेष रूप से बजरंग दल ने इस मामले को लेकर सख्त रुख अपनाया है। संगठन का कहना है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी में ढिलाई बरती जा रही है, और यह धर्मांतरण जैसी संवेदनशील घटना के प्रति असंवेदनशीलता दिखाती है। इस कारण बजरंग दल ने प्रशासन को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि मुख्य आरोपी को समय पर गिरफ्तार नहीं किया गया, तो संगठन सड़कों पर आंदोलन और विरोध प्रदर्शन करेगा।
बजरंग दल के स्थानीय प्रमुख ने कहा, “कंचन मित्तल और अमित चावला जैसे लोगों की गिरफ्तारी न होना समाज में अविश्वास और असुरक्षा पैदा करता है। कानून के पालन में देरी किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। हम चाहते हैं कि पुलिस जल्द से जल्द आरोपियों को पकड़कर न्यायालय में पेश करे।”
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह मामला केवल धर्मांतरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गरीब और असहाय लोगों का शोषण भी जुड़ा हुआ है। आरोप है कि आरोपी गरीब परिवारों को अपने प्रभाव में लाकर धर्मांतरण करवाने की कोशिश कर रहे थे। इस पूरे मामले ने आगरा में सामाजिक और धार्मिक तनाव को बढ़ा दिया है।
पुलिस अधिकारी इस मामले पर मीडिया से बातचीत में कह चुके हैं कि पूरी जांच चल रही है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमों को तैनात किया गया है। हालांकि, आरोपियों की फरारी और ठिकाने का पता नहीं चलने से कार्रवाई में देरी हो रही है। अधिकारी ने यह भी बताया कि आरोपी विभिन्न राज्यों में घूम सकते हैं, जिससे पकड़ना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
इस मामले ने राजनीतिक महलों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह संवेदनशील मामलों में ढिलाई बरत रही है और आम जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी से दूरी बना रही है। वहीं, राज्य सरकार ने कहा है कि कानून के मुताबिक कार्रवाई की जा रही है और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि धर्मांतरण जैसे मामलों में तेजी से कार्रवाई न होना सामाजिक तनाव और विवाद को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को ऐसे मामलों में संवेदनशील और त्वरित कदम उठाना चाहिए ताकि समाज में शांति बनी रहे।
बजरंग दल ने अपने अल्टीमेटम में यह स्पष्ट किया है कि 7 दिन के भीतर गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे प्रदर्शन, धरना और सड़कों पर आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। संगठन का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल न्याय सुनिश्चित करना है और वे कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई करेंगे।
आगरा धर्मांतरण कांड ने पूरे प्रदेश में धार्मिक संगठनों और सामाजिक संगठनों की निगाहें केंद्रित कर दी हैं। सभी की निगाहें अब प्रशासन और पुलिस की कार्रवाइयों पर हैं। यदि आरोपियों की गिरफ्तारी में और देरी हुई, तो यह मामला बड़े स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक विवाद का रूप ले सकता है।








