इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

गुजरात की आर्थिक राजधानी अहमदाबाद इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रही है। वजह न कोई कारखाना है और न ही कोई राजनीतिक चर्चा, बल्कि यह चर्चा एक अनोखे पुल की है जो साबरमती नदी पर बना है। यह पुल न केवल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है, बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में गुजरात की नई पहचान बन गया है।
यह पुल खास बातों के कारण चर्चा में है — यहां से न तो बाइक गुजरती है, न कार, न ट्रक। यह पूरी तरह से पैदल चलने वालों के लिए बनाया गया “वॉकिंग ब्रिज” है, जिसे देखने और उस पर टहलने के लिए अब तक 77 लाख से अधिक लोग पहुंच चुके हैं। अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (AMC) के अनुसार, इस पुल ने महज तीन साल में 27 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। यह आंकड़ा बताता है कि यह पुल अब अहमदाबाद का नया टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है।
साबरमती रिवरफ्रंट पर बने इस पुल की खूबसूरती ऐसी है कि रात के समय इसकी रोशनी इसे किसी विदेशी शहर के ब्रिज जैसा बना देती है। रंग-बिरंगी लाइट्स और आधुनिक डिजाइन ने इसे शहर का सबसे आकर्षक स्थल बना दिया है। कई लोग इसे “इंडिया का मिनी लंदन ब्रिज” कहकर संबोधित करते हैं।
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, यह पुल अहमदाबाद के दोनों किनारों को जोड़ने का काम करता है, लेकिन इसका असली उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना था। इसे रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में तैयार किया गया था ताकि लोग नदी की सुंदरता और शहर के आधुनिक रूप का एक साथ आनंद ले सकें। इस परियोजना की लागत करीब 74 करोड़ रुपये आई थी और अब तीन साल में यह लगभग आधी लागत की भरपाई कर चुका है।
पुल पर प्रवेश के लिए लोगों से टिकट शुल्क लिया जाता है। वयस्कों के लिए टिकट की कीमत ₹30 और बच्चों के लिए ₹15 रखी गई है। इसके बावजूद यहां लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। वीकेंड और छुट्टियों पर तो इतनी भीड़ होती है कि टिकट लेने के लिए लंबी कतारें लग जाती हैं।
सोशल मीडिया पर इस ब्रिज की तस्वीरें और वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं। इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर लोग यहां की खूबसूरती और डिज़ाइन को साझा कर रहे हैं। कई ट्रैवल ब्लॉगर्स और इंफ्लुएंसर्स ने इसे गुजरात का “इंस्टाग्राम स्पॉट” बताया है, जहां हर एंगल से फोटोशूट परफेक्ट बनता है।
अहमदाबाद म्युनिसिपल कमिश्नर ने कहा कि “साबरमती रिवरफ्रंट ब्रिज शहर के लिए गर्व की बात है। इस पुल ने पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया है। आसपास के इलाके में होटल, कैफे और लोकल शॉप्स की बिक्री में भी काफी वृद्धि हुई है।”
विशेषज्ञों का कहना है कि अहमदाबाद अब धीरे-धीरे स्मार्ट सिटी के साथ-साथ एक “स्मार्ट टूरिज्म डेस्टिनेशन” बनता जा रहा है। शहर ने पहले से ही कॉमनवेल्थ गेम्स और 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। ऐसे में यह पुल न केवल एक आर्किटेक्चरल लैंडमार्क है, बल्कि वैश्विक पहचान की दिशा में अहमदाबाद के सफर का हिस्सा भी है।
स्थानीय लोगों के लिए यह पुल शाम के समय सुकून भरी सैर का केंद्र बन गया है। यहां रोज सैकड़ों लोग परिवार और दोस्तों के साथ घूमने आते हैं। बच्चों के लिए यह मनोरंजन का स्थल है, वहीं कपल्स और पर्यटकों के लिए यह एक रोमांटिक फोटोस्पॉट बन चुका है।
अहमदाबाद के निवासी बताते हैं कि पहले शहर में शाम के समय घूमने के लिए सीमित विकल्प होते थे, लेकिन इस ब्रिज ने लोगों की जीवनशैली बदल दी है। अब यह स्थान सांस्कृतिक कार्यक्रमों, फूड फेस्टिवल और आर्ट प्रदर्शनियों का केंद्र भी बनता जा रहा है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि साबरमती रिवरफ्रंट पर बना यह पुल न केवल अहमदाबाद की सुंदरता बढ़ा रहा है बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी अपना अहम योगदान दे रहा है। आने वाले समय में अगर यह रफ्तार जारी रही, तो यह पुल गुजरात के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले पर्यटन स्थलों में से एक बन सकता है।








