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नासिक — विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक सिंहस्थ कुंभ मेला 2027 की तैयारियां महाराष्ट्र के नासिक में ज़ोरों पर हैं। प्रशासन और नगर निगम ने साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाओं की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इस बार साधुग्राम क्षेत्र में 24 घंटे जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विशेष योजना लागू की जा रही है।
नासिक नगर निगम (NMC) के अधिकारियों ने बताया कि आगामी कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु और हजारों साधु-संत साधुग्राम में डेरा डालेंगे। ऐसे में स्वच्छ पानी की सतत आपूर्ति प्राथमिक आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए 24×7 जल वितरण प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह परियोजना नासिक नगर निगम की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक मानी जा रही है।
नगर निगम के जल विभाग के प्रमुख इंजीनियर ने बताया कि इस बार साधुग्राम को स्थायी जलापूर्ति से जोड़ा जाएगा, ताकि अस्थायी टैंकर या बोरवेल पर निर्भरता न रहे। इसके लिए मुख्य पाइपलाइन को मजबूत किया जा रहा है और नई वितरण लाइनें भी बिछाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत लगभग 40 लाख लीटर प्रतिदिन (MLD) क्षमता की नई पाइपलाइन बिछाई जाएगी। साधुग्राम को गंगापुर डैम से पानी उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आधुनिक जल शोधन संयंत्र (water purification plant) भी स्थापित किया जा रहा है।
सिंहस्थ कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है, और 2027 में यह आयोजन नासिक में होने वाला है। इस मेले में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। पिछले कुंभ में जहां साधुग्राम में जल संकट की शिकायतें मिली थीं, वहीं इस बार प्रशासन ने पहले से ही ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
नासिक के नगर आयुक्त डॉ. अशोका राणे ने बताया कि इस बार का आयोजन “पर्यावरण के अनुकूल और तकनीक-संचालित कुंभ” के रूप में किया जाएगा। उनके अनुसार, जलापूर्ति व्यवस्था में IoT आधारित स्मार्ट सेंसर लगाए जाएंगे, जो जल प्रवाह और दबाव की निगरानी करेंगे। यदि किसी पाइपलाइन में लीकेज या समस्या होगी, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट भेजेगा।
नगर निगम ने यह भी घोषणा की है कि साधुग्राम में जल वितरण के लिए डिजिटल मीटरिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। इससे हर क्षेत्र में पानी का समान वितरण सुनिश्चित होगा और अपव्यय पर नियंत्रण रहेगा।
इसके अलावा, मेले के दौरान पानी की भारी खपत को देखते हुए 10 लाख लीटर क्षमता वाले जल भंडारण टैंक (storage reservoirs) भी बनाए जा रहे हैं। ये टैंक विशेष रूप से साधु-संतों के आश्रम और रसोई घरों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किए जा रहे हैं।
इस परियोजना की कुल लागत लगभग ₹38 करोड़ बताई जा रही है। इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में बुनियादी पाइपलाइन और जल संयंत्र तैयार किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में डिजिटल मॉनिटरिंग और सेंसर तकनीक जोड़ी जाएगी।
नासिक नगर निगम के अनुसार, परियोजना का 80% कार्य 2026 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा, ताकि 2027 के कुंभ मेले से पहले सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो सकें।
इस बार कुंभ मेले को हरित और सतत विकास के मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने की योजना है। जल प्रबंधन के साथ-साथ नासिक नगर निगम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सोलर लाइटिंग और ई-टॉयलेट्स की भी व्यवस्था कर रहा है।
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने भी प्रशासन की इस पहल का स्वागत किया है। उनका कहना है कि नासिक में कुंभ मेले के दौरान शहर की साख विश्व स्तर पर बढ़ती है। स्वच्छता और जल सुविधा जैसी योजनाएं इस आयोजन को और भव्य बनाएंगी।
साधु-संत समुदाय ने भी प्रशासन की योजनाओं की सराहना की है। अखाड़ा परिषद से जुड़े एक साधु ने कहा, “पिछले कुंभ में जलापूर्ति में दिक्कतें आई थीं। अगर इस बार सरकार समय से जल व्यवस्था कर दे, तो साधुग्राम में साधना और सेवा दोनों निर्बाध रूप से चल सकेंगी।”
कुंभ मेले के लिए राज्य सरकार ने विशेष समिति का गठन किया है, जो सभी विभागों के बीच समन्वय बनाए रखेगी। मुख्यमंत्री ने भी निर्देश दिए हैं कि कुंभ मेले की तैयारियां अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों।
सिंहस्थ कुंभ मेला 2027 के लिए अब तक की गई तैयारियों से यह स्पष्ट है कि इस बार का आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सुव्यवस्थित और तकनीकी रूप से सशक्त आयोजन के रूप में याद किया जाएगा।








