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    ये 20 ऐप कर रहे आपकी जासूसी, कुछ तो रोज चलाते हैं आप—एक‑एक नाम जानकर हो जाएँ बेहद अलर्ट

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    आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन और ऐप्स हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोज़ाना इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ ऐप्स आपके निजी डेटा को इकट्ठा कर रहे हैं और उन्हें तीसरे पक्ष के साथ साझा भी कर सकते हैं? हाल ही में NSoft कंपनी के आईटी हेड मारिन मारिंचिच ने ऐपल ऐप स्टोर की प्राइवेसी रिपोर्ट्स का विश्लेषण कर एक लिस्ट तैयार की है, जिसमें 20 ऐसे ऐप्स शामिल हैं जो आपकी जानकारी को ट्रैक और साझा कर रहे हैं।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि इन ऐप्स में कई ऐसे नाम हैं जिन्हें लोग रोज़ाना इस्तेमाल करते हैं। गेमिंग ऐप्स में कैंडी क्रश, रोब्लॉक्स और डुओलिंगो प्रमुख हैं। रोब्लॉक्स ने उपयोगकर्ताओं का डेटा शेयर नहीं किया, जबकि कैंडी क्रश ने 10% से कम और डुओलिंगो ने लगभग 20% डेटा दूसरों को साझा किया। यह दिखाता है कि डेटा शेयरिंग की मात्रा ऐप पर निर्भर करती है, लेकिन सभी ऐप्स पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।

    पीसीएमएजी ने NSoft के हवाले से इस 20 ऐप्स की पूरी लिस्ट जारी की है। सोशल मीडिया ऐप्स इस लिस्ट में सबसे आगे हैं। लिंक्डइन, स्नैपचैट, टिकटॉक, एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, मैसेंजर और थ्रेड्स जैसे ऐप्स उपयोगकर्ताओं का सबसे अधिक डेटा तीसरे पक्ष को साझा करते हैं। मेटा के ऐप्स लगभग 68.6% डेटा थर्ड पार्टी के साथ साझा करते हैं। व्हाट्सएप बिजनेस भी 57.1% डेटा लेता है, लेकिन इसमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन नहीं है, यानी मैसेज किसी भी समय पढ़े जा सकते हैं।

    इसके अलावा, शॉपिंग और वीडियो प्लेटफॉर्म्स भी डेटा साझा करने में पीछे नहीं हैं। अमेज़न अपने उपयोगकर्ताओं का लगभग 6% डेटा थर्ड पार्टी को देता है, लेकिन खरीदारी के लिए 25% डेटा का उपयोग करता है। यूट्यूब लगभग 31.4% डेटा साझा करता है और 34.3% डेटा विज्ञापन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गूगल के जीमेल, गूगल मैप्स और गूगल पे भी इस लिस्ट में शामिल हैं। ज्यादातर गूगल ऐप्स उपयोगकर्ताओं का डेटा अन्य प्लेटफॉर्म्स के साथ साझा करते हैं।

    विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट सभी उपयोगकर्ताओं के लिए चेतावनी है। ऐप डाउनलोड करते समय हमेशा उसकी परमिशन और प्राइवेसी पॉलिसी को ध्यान से पढ़ें। किसी भी ऐप को केवल उसकी लोकप्रियता या मुफ्त सेवा के आधार पर भरोसेमंद न मानें। अनचाहे डेटा शेयरिंग को रोकने के लिए यूजर्स को अपने स्मार्टफोन की सेटिंग्स में जाकर ऐप परमिशन की समीक्षा करनी चाहिए।

    साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि उपयोगकर्ताओं को केवल आवश्यक परमिशन वाले ऐप्स को ही अनुमति देनी चाहिए और उन ऐप्स को हटाना चाहिए जो लंबे समय से उपयोग नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा, नियमित रूप से स्मार्टफोन को अपडेट करना और एंटी-वायरस या सिक्योरिटी ऐप्स का इस्तेमाल करना भी सुरक्षित रहने के उपाय हैं।

    इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल सुरक्षा केवल तकनीक का मामला नहीं है, बल्कि हर उपयोगकर्ता की जिम्मेदारी भी है। हमारी व्यक्तिगत जानकारी मूल्यवान है और इसका सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना हम सभी की प्राथमिक जिम्मेदारी बन गई है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने फोन और ऐप्स का उपयोग करते समय सतर्क रहें और डेटा की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

    आज की डिजिटल दुनिया में जागरूकता और सतर्कता ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है। NSoft की इस रिपोर्ट ने हमें यह याद दिलाया कि केवल सुविधा के लिए ऐप्स का उपयोग करना पर्याप्त नहीं है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा डेटा सुरक्षित रहे और कोई भी ऐप इसे अनधिकृत रूप से साझा न कर सके।

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