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बिहार की सियासत में अब सबकी निगाहें कल होने वाले पहले चरण के मतदान पर टिकी हैं। जैसे-जैसे घड़ी 24 घंटे की ओर बढ़ रही है, राजनीतिक गलियारों में बेचैनी साफ झलक रही है। ‘यही रात अंतिम, यही रात भारी’, इस पंक्ति से मौजूदा सियासी माहौल को बखूबी समझा जा सकता है। कल यानी गुरुवार को होने वाले मतदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट के 14 मंत्रियों की किस्मत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में कैद हो जाएगी। इनमें से कई मंत्री पहली बार इतनी कड़ी टक्कर का सामना कर रहे हैं।
पहले चरण में जिन 14 मंत्रियों का राजनीतिक भविष्य दांव पर है, उनमें जेडीयू, बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों के नेता शामिल हैं। खास बात यह है कि इनमें बीजेपी कोटे के दो डिप्टी सीएम भी हैं, जिन पर पार्टी की प्रतिष्ठा टिकी है। इनके अलावा कई वरिष्ठ मंत्री, जिन्होंने पिछले कार्यकाल में महत्त्वपूर्ण विभाग संभाले, भी मैदान में हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन मंत्रियों के क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है — जेडीयू-बीजेपी गठबंधन बनाम राजद-कांग्रेस गठबंधन, वहीं कुछ सीटों पर निर्दलीयों और छोटे दलों ने भी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
बिहार के ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में इस बार मतदाता बेहद चुप हैं। नारेबाज़ी या खुले समर्थन का माहौल उतना दिखाई नहीं दे रहा जितना पहले हुआ करता था। इस चुप्पी ने उम्मीदवारों की धड़कनें तेज कर दी हैं। कई जगहों पर मंत्री खुद घर-घर जाकर लोगों से वोट मांग रहे हैं, जबकि कुछ ने अपने प्रचार अभियान को सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों पर केंद्रित किया है।
रातभर अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति बनाने और बूथ मैनेजमेंट की तैयारियां तेज़ कर दी गई हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस बार मुकाबला “छवि बनाम जनभावना” का है — यानी सरकार के कामकाज का असर सीधे मतदाता के मनोविज्ञान पर दिखेगा।
बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन महागठबंधन बनाम एनडीए के बीच की लड़ाई अब पहले चरण से ही निर्णायक रूप ले रही है। बीजेपी और जेडीयू दोनों के लिए यह चरण अहम माना जा रहा है क्योंकि इसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मैदान में हैं। विशेष रूप से दोनों डिप्टी सीएम के लिए यह चुनावी परीक्षा किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं। पार्टी ने उनके क्षेत्रों में पूरी ताकत झोंक दी है।
वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए भी यह चरण अहम है। पार्टी को उम्मीद है कि ग्रामीण वोट बैंक में उसकी पकड़ अब भी मजबूत बनी हुई है। लेकिन महंगाई, बेरोजगारी और विकास के मुद्दों ने चुनावी समीकरणों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
दूसरी ओर तेजस्वी यादव की अगुवाई में राजद-कांग्रेस गठबंधन ने इस चरण को “जनता बनाम सत्ता” की लड़ाई के रूप में पेश किया है। विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं और कानून व्यवस्था को लेकर हमला बोल रहा है। तेजस्वी यादव ने अपनी सभाओं में यह संदेश दिया है कि “अब बदलाव का वक्त आ गया है।”
हालांकि, एनडीए नेताओं का दावा है कि जनता विकास के साथ है और नीतीश सरकार की योजनाओं का असर जमीन पर दिख रहा है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, पहले चरण में 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इसके लिए प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। सभी जिलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। मतदान केंद्रों पर विशेष रूप से महिला और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
कल शाम तक जब मतदान समाप्त होगा, तब बिहार के इन 14 मंत्रियों की किस्मत मशीनों में बंद हो जाएगी। परिणाम आने में अभी कुछ दिन बाकी हैं, लेकिन सियासी तापमान पहले ही अपने चरम पर पहुंच चुका है। हर दल के लिए यह चरण आगामी राजनीतिक समीकरण तय करने में निर्णायक साबित होगा।








