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कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेश नीति और कूटनीतिक पारदर्शिता को लेकर घेरा है। पार्टी ने बुधवार को एक वीडियो साझा करते हुए सवाल उठाया कि आखिर पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप से बातचीत होने की बात से इनकार क्यों करते हैं। कांग्रेस ने यह सवाल वाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट के हालिया बयान के हवाले से उठाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर वाइट हाउस की प्रेस ब्रीफिंग का एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा—
“वाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने कहा कि ट्रंप और मोदी के बीच बातचीत हुई है। तो फिर प्रधानमंत्री इस बात से इनकार क्यों करते हैं कि उनकी ट्रंप से बात हुई? क्या देश को सच्चाई जानने का हक नहीं है?”
इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड करने लगा। कई कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री विदेश नीति को लेकर देश के नागरिकों से पारदर्शी नहीं हैं।
वहीं, भाजपा समर्थकों और कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने कांग्रेस के आरोपों को राजनीतिक नौटंकी बताया। उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेताओं के बीच बातचीत कई बार औपचारिक या बैक-चैनल के माध्यम से होती है, जिसे हर बार सार्वजनिक करना आवश्यक नहीं होता।
हालांकि, इस मामले में दिलचस्प यह है कि वाइट हाउस की ओर से जारी बयान में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि “राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की।”
इस बयान के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि यह बातचीत कब और किन मुद्दों पर हुई थी। पार्टी प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी जब देश के अंदर विपक्ष के सवालों का जवाब देने से बचते हैं, तो विदेश नीति को भी रहस्य में रखकर जनता से सच्चाई छिपाने की कोशिश करते हैं।
कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि यह कोई पहली बार नहीं है जब विदेश नीति को लेकर अस्पष्टता दिखाई गई है। पार्टी नेताओं ने कहा कि 2019 में भी ट्रंप ने “कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता” की बात कही थी, तब भी भारत सरकार ने उस दावे को नकार दिया था। अब फिर वही स्थिति बन रही है, जब दोनों देशों के आधिकारिक बयानों में विरोधाभास दिखाई दे रहा है।
भाजपा की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हालांकि, भाजपा के सोशल मीडिया हैंडल्स से जुड़े कई कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह देश की विदेश नीति को लेकर “गैरजिम्मेदार राजनीति” कर रही है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस पूरे विवाद का असर केवल भारत-अमेरिका संबंधों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह घरेलू राजनीति में भी चर्चा का विषय बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के रिश्ते लंबे समय से घनिष्ठ रहे हैं—चाहे वह ‘Howdy Modi’ कार्यक्रम हो या ‘Namaste Trump’ इवेंट। लेकिन अब, जब ट्रंप फिर से अमेरिकी राजनीति में सक्रिय हैं, तो उनके साथ किसी भी बातचीत का राजनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि कांग्रेस इस मुद्दे को 2025 के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री की छवि पर सीधा प्रहार करने के रूप में इस्तेमाल कर रही है। वहीं, भाजपा समर्थक इसे “राजनीतिक हताशा” बता रहे हैं।
कुल मिलाकर, वाइट हाउस के बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी वाकई ट्रंप से बात कर चुके हैं, या यह वाइट हाउस की ओर से की गई सामान्य राजनयिक टिप्पणी थी?
फिलहाल, जनता और विपक्ष दोनों ही इस सवाल के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।








