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डिजिटल इंडिया के युग में सरकारी ऐप्स नागरिकों के लिए सुविधाएं प्रदान करते हैं, लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है। प्ले स्टोर पर उपलब्ध एक फर्जी सरकारी ऐप को 1 लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड कर लिया। इस ऐप ने खुद को सरकारी सेवा प्रदान करने वाला बताया, लेकिन असलियत में यह लोगों से धोखाधड़ी कर रहा था। ऐप ने उपयोगकर्ताओं को सब्सक्रिप्शन शुल्क के लिए लालच देकर पैसे ऐंठने की कोशिश की।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के फर्जी ऐप्स मोबाइल यूजर्स के लिए गंभीर खतरा हैं। उपयोगकर्ताओं को अक्सर लगता है कि ऐप पूरी तरह से सुरक्षित और सरकारी है, लेकिन असलियत में यह उनके व्यक्तिगत डेटा और वित्तीय जानकारी को चुराने के लिए डिज़ाइन किया गया होता है। साइबर सुरक्षा विश्लेषकों ने कहा कि इस ऐप की पहचान फर्जी सरकारी पोर्टल और डिज़ाइन के जरिए की जा सकती थी, लेकिन आम उपयोगकर्ता इसे समझ नहीं पाए।
इस फर्जी ऐप की कहानी से साफ पता चलता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध हर ऐप सुरक्षित नहीं होता। ऐप डाउनलोड करने से पहले उपयोगकर्ताओं को डेवलपर की विश्वसनीयता, रिव्यू और ऐप की रेटिंग्स का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल उच्च रेटिंग या लोकप्रियता के आधार पर किसी ऐप को भरोसेमंद नहीं मानना चाहिए।
साइबर सुरक्षा के जानकारों ने बताया कि फर्जी सरकारी ऐप्स अक्सर ई-पेमेंट, व्यक्तिगत पहचान, बैंकिंग डिटेल्स और मोबाइल नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी मांगते हैं। इन ऐप्स का मुख्य उद्देश्य यूजर का डेटा चुराना और उसे अवैध लाभ के लिए इस्तेमाल करना होता है। इस मामले में भी उपयोगकर्ताओं को गलत सब्सक्रिप्शन पॉलिसी और नकली सुविधा दिखाकर धोखा दिया गया।
सरकारी अधिकारियों ने नागरिकों को चेतावनी दी है कि केवल सरकारी वेबसाइट या आधिकारिक गूगल प्ले स्टोर लिंक से ही सरकारी ऐप डाउनलोड करें। किसी भी संदिग्ध लिंक या प्रचार से प्रभावित होकर ऐप डाउनलोड करना जोखिम भरा हो सकता है। इसके अलावा, उपयोगकर्ताओं को अपने स्मार्टफोन पर एंटी-वायरस और सिक्योरिटी एप्लिकेशन अपडेट रखने की सलाह दी जाती है।
इस फर्जी ऐप मामले ने यह भी साबित कर दिया कि डिजिटल साक्षरता और सतर्कता अब हर नागरिक के लिए जरूरी है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि लोगों को ऐप की परमिशन, डेवलपर के नाम, रिव्यू और डाउनलोड संख्या जैसी जानकारी को ध्यान से देखना चाहिए। यदि किसी ऐप में असामान्य परमिशन या भुगतान की मांग हो रही है, तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए।
साइबर अपराध विभाग ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि फर्जी सरकारी ऐप्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और डेवलपर की पहचान कर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियां लगातार ऐसी धोखाधड़ी की निगरानी कर रही हैं ताकि उपयोगकर्ताओं को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
इसके अलावा, विशेषज्ञों ने आम नागरिकों को यह भी चेताया है कि किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके रिव्यू पढ़ें और सोशल मीडिया या अन्य प्लेटफॉर्म पर मिले अनुभव को साझा करने वाले उपयोगकर्ताओं की राय जानें। इससे आपको पहले से ही अंदाजा हो जाएगा कि ऐप सुरक्षित है या नहीं।
डिजिटल इंडिया के युग में इस तरह की धोखाधड़ी एक सीख के रूप में सामने आई है। नागरिकों को स्मार्टफोन और ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करते समय हमेशा सतर्क रहना होगा। सरकारी ऐप्स के नाम पर बनाई गई इस फर्जी एप्लिकेशन ने लाखों लोगों को धोखा दिया, लेकिन सतर्कता और जागरूकता से ऐसे नुकसान से बचा जा सकता है।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि मोबाइल और डिजिटल सुरक्षा पर ध्यान देना अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्य हो गया है। नागरिकों को हमेशा सावधानी बरतनी होगी और किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी वैधता और सुरक्षा जांचना जरूरी है।








