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उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में सोमवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब कर्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद लौट रहे श्रद्धालु चूनर रेलवे स्टेशन पर कलका मेल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए। इस हादसे में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल है और प्रशासन ने राहत एवं बचाव कार्य तेज़ कर दिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आज तड़के से ही गंगा तट पर कर्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। स्नान के बाद श्रद्धालु अपने घरों की ओर लौटने के लिए चूनर रेलवे स्टेशन पहुंचे। भारी भीड़ के कारण स्टेशन परिसर में अव्यवस्था फैल गई और कुछ श्रद्धालु सुरक्षा दीवार पार कर पटरी के पास आ गए। तभी तेज़ रफ्तार कलका मेल एक्सप्रेस (कालका-हावड़ा एक्सप्रेस) वहां से गुजर रही थी और कई लोग उसकी चपेट में आ गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्टेशन पर उस समय भारी भीड़ थी और रेलवे प्रशासन की ओर से पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। श्रद्धालु प्लेटफॉर्म की कमी के कारण ट्रैक के पास खड़े हो गए थे। अचानक ट्रेन के आने पर लोग संभल नहीं पाए और यह दुखद घटना घट गई। घटना के तुरंत बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों ने पुलिस और रेलवे कर्मियों की मदद से घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया।
सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस और रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंचे। राहत एवं बचाव दलों ने घटनास्थल को घेर लिया और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। रेलवे ट्रैफिक कुछ समय के लिए बाधित रहा, लेकिन बाद में एक ट्रैक पर यातायात बहाल कर दिया गया। हादसे में मृतकों की पहचान की जा रही है और उनके परिजनों को सूचना दी जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा भी की है और कहा है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
रेलवे प्रशासन ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है। उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि हादसे के कारणों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि कर्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान के बाद लौटने वाली भीड़ का अनुमान ठीक से नहीं लगाया गया था। भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं किए गए थे, जिसके कारण यह हादसा हुआ।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल कर्तिक पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं और चूनर स्टेशन पर लौटते समय भीड़ का दबाव बढ़ जाता है। बावजूद इसके इस बार प्रशासन की ओर से कोई विशेष तैयारी नहीं की गई थी। रेल मंत्रालय से उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में ऐसे धार्मिक अवसरों पर विशेष ट्रैफिक और सुरक्षा प्लान तैयार किया जाएगा।
घटना के बाद स्टेशन और आसपास के इलाकों में शोक का माहौल है। कई परिवार अपने प्रियजनों की तलाश में अस्पतालों और पुलिस चौकियों के चक्कर लगा रहे हैं। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है और गंभीर रूप से घायलों का इलाज जिला अस्पताल में जारी है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ घायलों की हालत नाज़ुक बनी हुई है।
यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि भारत में धार्मिक अवसरों पर रेलवे स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर है। लाखों लोगों की भीड़ में प्रशासनिक समन्वय और आपातकालीन प्रबंधन की कमी अक्सर इस तरह की त्रासदियों को जन्म देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए रेलवे को पहले से विशेष गाइडलाइंस जारी करनी चाहिए और स्थानीय प्रशासन को ट्रेन संचालन के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी और लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाएगी और घायलों के इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी।
हादसे की खबर मिलते ही क्षेत्र के सांसद और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने मौके पर उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों से बात की और राहत कार्यों की निगरानी की। रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी तरह की अफरातफरी को रोका जा सके।
यह दर्दनाक हादसा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक गहरा आघात है, बल्कि प्रशासन और रेलवे व्यवस्था के लिए भी एक चेतावनी है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए धार्मिक अवसरों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता देना अब अत्यंत आवश्यक हो गया है।
कर्तिक पूर्णिमा जैसे पवित्र अवसर पर जहां श्रद्धालु गंगा स्नान के माध्यम से आत्मिक शांति की तलाश में आते हैं, वहीं ऐसी घटनाएं उनके विश्वास को झकझोर देती हैं। सरकार और रेलवे प्रशासन के लिए यह समय है कि वे सुरक्षा व्यवस्था की खामियों से सबक लें और सुनिश्चित करें कि श्रद्धा का उत्सव कभी भी त्रासदी में न बदल सके।








