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भारत की रक्षा संरचना में एक बड़ा बदलाव अब लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुका है। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ से मिली अहम सीख के बाद अब भारतीय सशस्त्र बलों की थिएटर कमांड व्यवस्था को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने जानकारी दी कि थिएटर मॉडल तैयार करने का लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। उनका कहना है कि यह नया मॉडल भारत की सुरक्षा क्षमताओं को न सिर्फ आधुनिक बनाएगा, बल्कि तीनों सेनाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेना—को एक समन्वित रणनीतिक ढांचे में जोड़ देगा।
जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया कि भविष्य के युद्ध केवल किसी एक मोर्चे तक सीमित नहीं रहेंगे। ऐसे में सभी सेनाओं के बीच तालमेल और सूचनाओं का साझा होना बेहद जरूरी है। थिएटर कमांड की यही मूल भावना है—‘एकीकृत कार्रवाई, त्वरित निर्णय और अधिकतम प्रभाव’। इस दिशा में जो कार्य चल रहा है, वह अब अंतिम चरण में है और आने वाले महीनों में इसे औपचारिक रूप से लागू किया जा सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक मील का पत्थर माना जा रहा है। इस ऑपरेशन के दौरान तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और रणनीतिक नियंत्रण की जरूरत पर जो बातें सामने आईं, उन्होंने भविष्य के युद्ध-ढांचे के लिए नए संकेत दिए। इन्हीं अनुभवों के आधार पर अब थिएटर कमांड की भूमिका और स्वरूप में सुधार किया जा रहा है। इसमें खास तौर पर सर्विस चीफ की भूमिका और अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि किसी भी संकट के समय निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक तेज और स्पष्ट हो।
CDS चौहान ने बताया कि थिएटर कमांड के तहत देश को कुछ प्रमुख कमांड जोन में बांटा जाएगा, जहां प्रत्येक थिएटर कमांडर को तीनों सेनाओं की संयुक्त जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह प्रणाली न केवल प्रशासनिक ढांचे को सरल बनाएगी बल्कि सीमित संसाधनों का अधिक प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करेगी। इसके तहत जमीन, समुद्र, वायु और साइबर स्पेस—सभी क्षेत्रों में समन्वित ऑपरेशन किए जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े और जटिल भौगोलिक क्षेत्र वाले देश में थिएटर कमांड की अवधारणा बेहद महत्वपूर्ण है। आज के दौर में तकनीकी प्रगति और हाइब्रिड युद्ध की अवधारणा ने यह आवश्यक बना दिया है कि सेना पारंपरिक सोच से आगे बढ़े और आधुनिक रणनीतियों को अपनाए। थिएटर मॉडल इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, जो सेना को “फ्यूचर रेडी” बनाएगा।
सूत्रों के अनुसार, सरकार भी इस परियोजना को लेकर गंभीर है और जल्द ही अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही संयुक्त कमान के विचार का समर्थन कर चुके हैं, जिसे अब CDS चौहान के नेतृत्व में व्यावहारिक रूप दिया जा रहा है।
इस पूरे सुधार अभियान का मकसद केवल सेना के संगठनात्मक ढांचे को बदलना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीति को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप बनाना है। साइबर, स्पेस, और ड्रोन युद्ध जैसी नई परिस्थितियों में भारत को एक ऐसे रक्षा तंत्र की आवश्यकता है जो हर स्तर पर तेज, सटीक और समन्वित प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो।
जनरल चौहान ने विश्वास जताया कि थिएटर कमांड लागू होने के बाद भारतीय सेना की ऑपरेशनल क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी और यह न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में एक निर्णायक भूमिका निभाने में भी सक्षम बनाएगी।
भारत के रक्षा इतिहास में यह परिवर्तन एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है—जहां पारंपरिक सीमाओं से परे जाकर एकीकृत, आधुनिक और रणनीतिक सोच के साथ भारतीय सेना भविष्य की चुनौतियों का सामना करेगी।








