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कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सेना को लेकर दिए गए विवादित बयान पर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने भाई का बचाव किया है। प्रियंका ने स्पष्ट किया कि राहुल गांधी ने किसी भी स्थिति में भारतीय सेना का अपमान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि उनके भाई का उद्देश्य सेना की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना नहीं था बल्कि वह देश की सच्चाई और बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठा रहे थे।
प्रियंका गांधी ने अपने बयान में भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में हर दिन कोई न कोई अपमान होता है। उन्होंने पीएम मोदी को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि अगर अपमान का यह सिलसिला जारी रहा तो उन्हें एक ‘अपमान मंत्रालय’ खोल लेना चाहिए। प्रियंका के अनुसार, राजनीतिक मुद्दों और सरकारी नीतियों पर सवाल उठाना लोकतंत्र का हिस्सा है और इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
प्रियंका ने यह भी कहा कि राहुल गांधी का उद्देश्य सेना के खिलाफ नहीं था, बल्कि सरकार की विभिन्न नीतियों और उनके लागू करने के तरीके पर चर्चा करना था। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोकतांत्रिक देशों में विपक्ष का काम ही यह होता है कि वह सत्ता पक्ष की नीतियों और निर्णयों की आलोचना करे। प्रियंका ने बताया कि राहुल गांधी हमेशा देश और सैनिकों के सम्मान के प्रति सजग रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि प्रियंका गांधी का यह बयान पार्टी और राहुल गांधी की साख को बचाने की कोशिश है। सेना जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बयानबाजी राजनीतिक माहौल को गर्म कर सकती है और प्रियंका का प्रयास इसे संतुलित करने का है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राहुल गांधी की आलोचना केवल भाजपा की नीतियों और उनके असर पर केंद्रित थी, न कि सेना के सम्मान पर।
प्रियंका ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देश में जो भी अपमान देखने को मिलता है, वह केवल सेना तक ही सीमित नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में अपमान की घटनाएं होती हैं और सरकार उन्हें नजरअंदाज करती है। उनका कहना था कि विपक्ष का काम ही है कि वह इन मामलों को उजागर करे और जनता तक सही जानकारी पहुंचाए।
इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल में हलचल बढ़ गई है। विपक्षी दलों ने प्रियंका गांधी के समर्थन में प्रतिक्रिया दी और कहा कि लोकतंत्र में सवाल उठाना जरूरी है। वहीं, बीजेपी नेताओं ने इसे विपक्ष की रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि सेना और देश की प्रतिष्ठा के मामले में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
प्रियंका गांधी का यह बयान कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पार्टी की ओर से सेना के प्रति सम्मान में कोई कमी नहीं है और राहुल गांधी हमेशा सैनिकों के सम्मान और देशहित में ही अपने विचार व्यक्त करते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि प्रियंका का यह बयान आगामी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। यह कांग्रेस की छवि को मजबूत करने और विपक्ष के दृष्टिकोण को जनता तक स्पष्ट करने का प्रयास है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पार्टी भविष्य में इसी तरह संवेदनशील मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करती रहेगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने देश में सेना और राजनीतिक नेतृत्व के बीच संवाद के महत्व को भी उजागर किया है। प्रियंका गांधी ने साफ किया कि आलोचना और प्रश्न पूछना लोकतंत्र का मूल हिस्सा है और इसे सेना के खिलाफ नहीं देखा जाना चाहिए। उनका कहना था कि राहुल गांधी के बयान को राजनीतिक नजरिए से ही समझा जाना चाहिए, न कि व्यक्तिगत अपमान के रूप में।
कुल मिलाकर प्रियंका गांधी वाड्रा ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए बीजेपी और पीएम मोदी पर आरोप लगाया, सेना के प्रति सम्मान बनाए रखा और विपक्षी दृष्टिकोण को सही ठहराया। यह बयान भारतीय राजनीति में आगामी दिनों में बहस का केंद्र बन सकता है और इसका प्रभाव चुनावी माहौल और जनता की धारणा पर भी पड़ सकता है।








