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राजस्थान में उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी और भ्रामक विज्ञापनों के मामलों को लेकर प्रशासन और अदालतें अब सख्त रुख अपनाती नजर आ रही हैं। हाल ही में जूता कंपनी बाटा शूज पर उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के मामले में जुर्माना लगाया गया था। वहीं अब इसी तरह के एक मामले में बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान को भी कोर्ट ने तलब किया है। अदालत ने यह कदम एक विज्ञापन में कथित रूप से भ्रामक जानकारी देने के आरोपों के चलते उठाया है।
राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामलों में तेजी आई है। कई उपभोक्ताओं ने शिकायत दर्ज कराई है कि बड़े-बड़े ब्रांड और नामी चेहरे वाले विज्ञापन उत्पाद की वास्तविक गुणवत्ता से अलग दावे करते हैं, जिससे उपभोक्ता को नुकसान होता है।
ऐसे मामलों में कई बार ग्राहक खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं और उपभोक्ता अदालतों का दरवाजा खटखटाते हैं।
कुछ दिन पहले राजस्थान की उपभोक्ता अदालत ने प्रसिद्ध फुटवियर कंपनी बाटा इंडिया लिमिटेड पर एक उपभोक्ता से गलत तरीके से पैकेजिंग चार्ज वसूलने के मामले में जुर्माना लगाया था। अदालत ने कहा था कि किसी भी कंपनी को ग्राहक को गुमराह करने या उससे अतिरिक्त शुल्क वसूलने का अधिकार नहीं है।
अब मामला अभिनेता सलमान खान से जुड़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत ने एक ऐसे विज्ञापन पर सवाल उठाए हैं जिसमें सलमान खान को ब्रांड एंबेसडर के रूप में दिखाया गया था। उपभोक्ताओं ने आरोप लगाया कि विज्ञापन में दिए गए दावे “भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत” थे। शिकायत के आधार पर अदालत ने इस मामले में संज्ञान लिया और अभिनेता समेत संबंधित कंपनी को नोटिस जारी किया है।
राजस्थान उपभोक्ता आयोग के मुताबिक, किसी भी विज्ञापन का उद्देश्य ग्राहकों को जानकारी देना होना चाहिए, न कि उन्हें भ्रमित करना।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई नामी चेहरा किसी ब्रांड का प्रचार करता है, तो उसकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उत्पाद की सत्यता की जांच करे और किसी भ्रामक प्रचार का हिस्सा न बने।
यह फैसला इस बात को भी रेखांकित करता है कि सेलिब्रिटीज केवल “फेस” नहीं हैं, बल्कि वे जनता में विश्वास का प्रतीक हैं, इसलिए उनकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है।
भारत में अब उपभोक्ता अधिकारों को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ी है। राजस्थान जैसे राज्यों में उपभोक्ता अदालतों ने कई अहम फैसले दिए हैं जिनसे उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ा है।
इस मामले में भी उपभोक्ता ने यह दलील दी कि विज्ञापन देखने के बाद उसने उत्पाद खरीदा, लेकिन उसे वादे के मुताबिक गुणवत्ता नहीं मिली। अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
इस मामले ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या बड़े सितारे केवल विज्ञापन के लिए फीस लेकर जिम्मेदारी से मुक्त हो सकते हैं?
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत यदि कोई सेलिब्रिटी किसी उत्पाद का प्रचार करता है और वह उत्पाद भ्रामक साबित होता है, तो प्रचारक को भी जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
एडवोकेट्स का मानना है कि ऐसे कदम सेलिब्रिटीज को अपने विज्ञापनों में ज्यादा जिम्मेदार बनाएंगे और बाजार में पारदर्शिता लाएंगे।
हाल ही में केंद्र सरकार ने भी भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने भी यह स्पष्ट किया है कि किसी भी उत्पाद के दावे को तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।
राजस्थान उपभोक्ता आयोग का यह फैसला उसी दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे ग्राहकों के हितों की रक्षा हो सके।








