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    PNB का तोहफा: कम होगी होम-कार लोन की EMI, ऋण लेने वालों को मिलेगा फायदा।

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    आरबीआई के रेपो रेट में कटौती के बाद PNB ने भी RLLR घटाया, EMI में होगी राहत।

    नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद PNB ने भी अपने रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) में 50 बेसिस प्वाइंट की कमी की घोषणा कर दी है। बैंक ने यह जानकारी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट X (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से दी। नई दरें 9 जून 2025 से प्रभावी हो गई हैं।

    कितनी कम होगी ब्याज दर?
    PNB के नए फैसले के मुताबिक, अब:
    १. होम लोन 7.45 प्रतिशत सालाना से शुरू होगा
    २. व्हीकल लोन (कार लोन) 7.80 प्रतिशत सालाना से शुरू होगा
    इस कदम के बाद नए और पुराने दोनों ग्राहकों को फायदा होगा। जिन ग्राहकों के लोन पहले से ही RLLR से जुड़े हुए हैं, उनकी अगली EMI में स्वतः कमी आ जाएगी।

    कस्टमर्स को मिलेगा फायदा
    कोरोना काल (मई 2020 से अप्रैल 2022) के दौरान RBI ने रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा था। लेकिन उसके बाद लगातार वृद्धि करते हुए यह दर 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। अब बीते दो सालों में RBI ने तीन बार रेपो रेट में कटौती की है। इस कदम से विशेष रूप से कार लोन, होम लोन और छोटे व्यापार लोन लेने वालों को सीधी राहत मिलेगी।

    PNB के इस फैसले से लाखों ग्राहकों की मासिक किस्तें (EMI) कम हो जाएंगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

    कई बैंकों ने भी घटाए लेंडिंग रेट
    RBI की कटौती के बाद केवल PNB ही नहीं, अन्य कई प्रमुख बैंकों ने भी अपने लेंडिंग रेट में कटौती की है:
    १. HDFC बैंक ने 7 जून को MCLR में कटौती की
    २. बैंक ऑफ बड़ोदा ने बड़ोदा रेपो बेस्ड लेंडिंग रेट को 8.65% से घटाकर 8.15% कर दिया
    ३. इंडियन बैंक ने RBLR (रेपो लिंक्ड बेंचमार्क लेंडिंग रेट) को 8.70% से घटाकर 8.20% कर दिया

    क्या है रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR)?
    रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) वह दर है, जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को ऋण (Loan) देते हैं और यह दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के रेपो रेट से जुड़ी होती है। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है तो RLLR में भी बदलाव होता है, जिससे सीधे तौर पर लोन की ब्याज दरों और EMI पर असर पड़ता है।

    सीधा लाभ: RLLR में कटौती का मतलब है कि ग्राहकों की EMI कम हो जाती है, जिससे उनकी आर्थिक बोझ में राहत मिलती है।

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