




इजरायल-ईरान युद्ध के बीच पाकिस्तान ने बढ़ाया समर्थन, मिसाइल सप्लाई और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिया बयान, भारत की सुरक्षा पर उठे सवाल।
इस्लामाबाद/तेहरान/नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे टकराव के बीच पाकिस्तान की एक बड़ी और चिंताजनक भूमिका सामने आई है। शीर्ष खुफिया सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान ईरान को शाहीन-III बैलिस्टिक मिसाइलें देने की तैयारी में है। यह मिसाइल 2,750 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है और इसका इस्तेमाल भारत जैसे दूरस्थ लक्ष्यों के खिलाफ किया जा सकता है।
शाहीन-III मिसाइल: भारत के लिए बढ़ा खतरा?
शाहीन-III पाकिस्तान की मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल है जिसे परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम माना जाता है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान यह मिसाइल इसलिए देना चाहता है ताकि ईरान भविष्य में भारत के खिलाफ रणनीतिक सहयोगी बन सके।
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान को लगता है कि यदि भारत को ईरान की ओर से भी सैन्य दबाव झेलना पड़ेगा, तो वह अपनी पश्चिमी सीमा (LoC और पंजाब फ्रंट) से सैन्य संसाधन हटा सकता है — यह पाकिस्तान की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
शहबाज शरीफ की ईरान के पक्ष में खुली वकालत
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर ईरान का समर्थन किया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और OIC जैसे मंचों पर ईरान के आत्मरक्षा के अधिकार की बात कही है और इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की है।
“हम हर तरह से ईरान के साथ खड़े हैं,” – शहबाज शरीफ
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 का हवाला देते हुए ईरान के “आत्मरक्षा” के अधिकार को न्यायसंगत ठहराया है।
मुस्लिम देशों को एकजुट करने की कोशिश
पाकिस्तान ने हाल ही में OIC (Organization of Islamic Cooperation) की आपात बैठक बुलाने की मांग की थी। इसके जरिए पाकिस्तान का मकसद मुस्लिम देशों को इजरायल के खिलाफ एकजुट करना और उन देशों पर दबाव बनाना था जो इजरायल से राजनयिक संबंध बनाए हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सिर्फ ईरान के समर्थन के लिए नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ रणनीतिक माहौल बनाने की एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा हो सकता है।
क्या यह भारत के लिए नया मोर्चा खोलने की कोशिश?
सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यदि पाकिस्तान और ईरान के सैन्य रिश्ते और गहरे होते हैं, तो भारत को दो मोर्चों (Pakistan और Iran) पर सुरक्षा रणनीति तैयार करनी पड़ सकती है।
हालांकि भारत की रक्षा प्रणाली (Ballistic Missile Defence System) आधुनिक और सशक्त है, लेकिन भूराजनीतिक बदलाव का असर भविष्य की रणनीतियों पर पड़ेगा।
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