




लीक ऑडियो में ‘हत्या का लाइसेंस’ मिलने की बात पर भड़का कोर्ट, तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला।
क्या है पूरा मामला?
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने अदालत की अवमानना का दोषी करार देते हुए छह महीने की जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को सुनाया।
इस केस की सुनवाई जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार की अध्यक्षता में हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक लीक ऑडियो क्लिप में शेख हसीना द्वारा दिए गए बयान ने न्याय व्यवस्था को चुनौती दी और गंभीर अवमानना की श्रेणी में आता है।
ऑडियो क्लिप में क्या कहा था शेख हसीना ने?
2024 में लीक हुई एक ऑडियो क्लिप में शेख हसीना गोबिंदगंज उपजिला चेयरमैन शकील बुलबुल से बात करते हुए कहती हैं:
“मेरे खिलाफ 227 मामले दर्ज हुए हैं, इसलिए मुझे इन लोगों को मारने का लाइसेंस मिल गया है।”
इस बयान को कोर्ट ने न केवल आपत्तिजनक माना, बल्कि इसे न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ भी बताया।
शकील बुलबुल को भी मिली थी सजा
उसी मामले में शकील बुलबुल को भी पहले दो महीने की जेल की सजा दी जा चुकी है। वह बांग्लादेश छात्र लीग (BCL) से जुड़े रहे हैं, जो शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की छात्र शाखा है।
विरोध और राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके तुरंत बाद बांग्लादेश में छात्र संगठनों और नागरिक समूहों द्वारा हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए।
प्रदर्शन की शुरुआत सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ हुई थी, लेकिन यह आंदोलन देशव्यापी उग्र प्रदर्शन में बदल गया।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से अगस्त 2024 के बीच इन विरोध प्रदर्शनों में लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद शेख हसीना भारत में शरण लेने चली आईं।
अब कौन है बांग्लादेश का अंतरिम प्रधानमंत्री?
हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को बांग्लादेश के अंतरिम प्रशासन का प्रमुख नियुक्त किया गया। उन्होंने हिंसा को रोकने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के लिए कुछ अहम फैसले लिए हैं।
शेख हसीना को सजा केवल एक राजनीतिक घटना नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश में कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर मोड़ पर खड़ी है, जहां न्यायपालिका, सेना और प्रशासन की भूमिका बेहद अहम हो चुकी है।
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