




निरामय पैरालिसिस सेंटर, पुणे के निदेशक सुनील सालवे को मानवता और आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए आइकॉनिक ह्यूमेनिटेरियन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
Success Story: आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जिंदगी में जब अधिकांश लोग आधुनिक दवाओं पर निर्भर हो चुके हैं, वहीं पुणे के सुनील सालवे ने आयुर्वेद की सदियों पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित कर एक नई रोशनी दिखाई है। निरामय पैरालिसिस सेंटर, पुणे के निदेशक सुनील सालवे को नेशनल आइकॉन अवॉर्ड 2025 के तहत आइकॉनिक ह्यूमेनिटेरियन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
यह सम्मान उनके 15 वर्षों से अधिक समय के अथक परिश्रम और मानव सेवा को समर्पित जीवन के लिए दिया गया है, जिसमें उन्होंने हजारों मरीजों को लकवे और तंत्रिका तंत्र की गंभीर बीमारियों से निजात दिलाई।
सेवा का मंदिर: निरामय पैरालिसिस सेंटर
“सेवा ही ईश्वर है” इस मूलमंत्र पर आधारित निरामय सेंटर सिर्फ एक चिकित्सा केंद्र नहीं बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक और मानवीय आश्रय स्थल है जहाँ उपचार को केवल शरीर तक सीमित न रखकर मन, आत्मा और भावनाओं को भी छूने की कोशिश की जाती है।
यहां आयुर्वेदिक अनुसंधान, पंचकर्म, फिजियोथेरेपी, योग, और आध्यात्मिक हीलिंग के माध्यम से लकवा, साइटिका, तंत्रिका दुर्बलता, वैरिकॉज वेन्स, फेसियल पैरालिसिस, याद्दाश्त कमजोर होना, झटके आना आदि समस्याओं का इलाज किया जाता है।
आधुनिक दृष्टिकोण के साथ प्राचीन विज्ञान
श्री सालवे का कार्य आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद के अद्भुत संगम का परिचायक है। उन्होंने एक व्यक्तिकृत उपचार मॉडल विकसित किया है जिसमें सात्विक आहार, म्यूजिक थेरेपी, मंत्र जाप, और भगवान धन्वंतरि के आशीर्वाद से मरीजों को मानसिक व आध्यात्मिक संबल भी मिलता है।
यहां मरीजों को न केवल बीमारी से लड़ने की ताकत दी जाती है, बल्कि स्नेह, सहानुभूति और गरिमा के साथ व्यवहार कर उन्हें भावनात्मक रूप से भी सशक्त किया जाता है।
लोहेगांव से पूरे महाराष्ट्र तक
पुणे के लोहेगांव स्थित मुख्य केंद्र से शुरू होकर आज निरामय पैरालिसिस सेंटर महाराष्ट्र के कई हिस्सों में लोगों की उम्मीद का केंद्र बन चुका है। श्री सालवे की यह यात्रा निरंतर विस्तार कर रही है और उनकी सोच – “प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य” – को पूरे राज्य में फैलाया जा रहा है।
एक सशक्त संदेश: स्वास्थ्य ही सच्चा धन
सुनील सालवे मानते हैं कि “स्वास्थ्य ही असली धन है।” जब देश बीपी, डायबिटीज, कैंसर और लकवे जैसी बीमारियों से जूझ रहा है, ऐसे में उनकी सेवाएं केवल उपचार तक सीमित नहीं, बल्कि एक परिवर्तन की प्रक्रिया बन चुकी हैं।
बधाई हो, श्री सुनील सालवे!
आपका यह सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस सोच को मिला है जो पारंपरिक भारतीय ज्ञान और मानवता को जोड़ती है। आपने शरीर नहीं, आत्माएं भी ठीक की हैं — यह पुरस्कार आपके जीवन के महान उद्देश्य का प्रमाण है।
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