




बॉलीवुड की ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में अपने शुरुआती दिनों के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी चुप्पी को उनके सह-कलाकारों ने घमंड समझा, जबकि वह असल में बहुत शर्मीली थीं।
हेमा मालिनी ने बताया, “जब मैं जवान थी, मैं बहुत चुप थी। मैं सेट्स पर कम बोलती थी। मेरे कई नायक मुझे घमंडी समझते थे, लेकिन मैं तो बस शर्मीली थी।” उन्होंने यह भी कहा कि वह सोचती थीं, “क्यों बेवजह बोलना? इसलिए मैं चुप रहती थी।”
हेमा मालिनी ने अपनी फिल्मों ‘शोले’ और ‘सीता और गीता’ में निभाई गई भूमिकाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि ‘शोले’ में बासंती का किरदार निभाना उनके लिए एक चुनौतीपूर्ण अनुभव था, क्योंकि वह असल जीवन में बहुत कम बोलने वाली थीं। वहीं, ‘सीता और गीता’ में दोनों भूमिकाएँ निभाना उनके लिए एक विशेष अनुभव था।
हेमा मालिनी ने अपने सह-कलाकारों के साथ अपने संबंधों के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि राजेश खन्ना के साथ उनकी पहली मुलाकात में दोनों एक-दूसरे को घमंडी समझते थे, लेकिन बाद में काम करते हुए उनकी दोस्ती गहरी हुई।
हेमा मालिनी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण फिल्में कीं और कई पुरस्कार जीते। उन्होंने ‘सीता और गीता’ में अपनी भूमिका के लिए फिल्मफेयर अवार्ड जीता और ‘शोले’ में बासंती के किरदार से दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया।
हेमा मालिनी का यह साक्षात्कार यह दर्शाता है कि कभी-कभी हमारी चुप्पी को घमंड समझा जाता है, जबकि वह हमारी शर्मीली प्रकृति का हिस्सा हो सकती है। उनका यह अनुभव युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि वे अपनी असलियत को समझें और दूसरों की राय से प्रभावित न हों।