




उत्तर प्रदेश के अऊरैया जिले में मंगलवार को एक ऐसा दृश्य देखा गया जिसे लोग शायद ही कभी भूल पाएँ। बिधुना तहसील कार्यालय के परिसर में एक बंदर ने ₹80,000 नक़द से भरी थैली पर हाथ साफ़ कर लिया। फिर पेड़ की शाखा पर बैठकर उसने उसमें से ₹500 के नोट हवा में उछालने शुरू कर दिए—जैसे सचमुच नक़दी की बारिश हो रही हो। यह निराला नज़ारा देखते ही बन रहा था और देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने लोगों की दिलचस्पी बढ़ा दी।
कितना नक़द गायब हुआ?
कुछ खबरों में इस घटना का विवरण थोड़ा अलग दीखता है—एक रिपोर्ट के मुताबिक बंदर ने ₹28,000 की नक़द की थैली चुरा ली थी। उस थैली में कुल ₹80,000 थे, लेकिन मात्र ₹52,000 ही वापस मिल पाए, यानी लगभग ₹28,000 गायब हो गया।
इलाक़े में अफरा-तफ़री
जब बंदर ने पेड़ पर चढ़कर नोट उड़ाने शुरू किए, तो लोगों में хаos मच गया। वहाँ उपस्थित लोग नोटों को इकट्ठा करने के लिए दौड़ पड़े और कुछ ने चपलता से कई नोट उठाकर रख लिए।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
यह दृश्य इतना मनोरंजक और प्रभावशाली था कि सोशल मीडिया ने इसे हज़ारों बार शेयर और री-शेयर कर दिया। लोग हैरानी और हंसी के बीच इंटरनेट पर “मनी रेन” को एक मजेदार घटना के रूप में यादगार बना रहे थे।
बंदरों की शरारतों का लंबा सिलसिला
1. अऊरैया की “मनी रेन”: नई और अनोखी घटना
उत्तर प्रदेश के अऊरैया जिले में हाल ही में घटी “मनी रेन” की घटना ने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया। एक बंदर ने स्थानीय व्यक्ति की जेब से नोटों का बंडल छीन लिया और पेड़ की शाखाओं पर चढ़कर ₹500 और ₹200 के नोट हवा में उछाल दिए। नतीजा यह हुआ कि लोगों के सिर पर अचानक नोटों की बारिश होने लगी। राह चलते लोग पहले तो हैरान रह गए, लेकिन फिर जिसने जैसे हाथ लगे, वैसे नोट बटोरने में जुट गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और लोग इसे “बंदर का अनोखा करतब” कहकर मज़ाकिया अंदाज़ में साझा करने लगे।
यह घटना केवल एक मज़ेदार नज़ारा ही नहीं, बल्कि इसने बंदरों की चतुराई और शरारती स्वभाव की ओर भी इशारा किया।
2. वृंदावन में ₹20 लाख के आभूषण की चोरी
अऊरैया की घटना से पहले जून में वृंदावन में एक और चौंकाने वाली घटना घटी थी। प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के बाहर एक भक्त की पत्नी ने अपने बैग में महँगे आभूषण रखे हुए थे। अचानक एक बंदर झपट्टा मारकर बैग ले उड़ा। बैग में करीब ₹20 लाख मूल्य के हीरे-जवाहरात मौजूद थे।
मंदिर परिसर में अफरा-तफरी मच गई। लोग दौड़ते हुए बंदर के पीछे भागे। पुलिस और स्थानीय सुरक्षा कर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए किसी तरह बंदर को डराकर बैग बरामद किया। सौभाग्य से उसमें रखी कीमती सामग्री सुरक्षित मिल गई।
यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि वृंदावन और मथुरा क्षेत्र में बंदरों का आतंक अब सामान्य बात हो गई है। यहाँ आए दिन बंदरों द्वारा चश्मा, पर्स, मोबाइल और यहाँ तक कि भोजन की थैलियाँ तक छीनने के मामले दर्ज होते रहते हैं।
3. काला दीन गुफाओं का किस्सा—“नोटों की बरसात”
मध्य प्रदेश के गुना जिले के पास काला दीन गुफाओं में कुछ महीनों पहले एक विचित्र घटना सामने आई। यहाँ एक व्यक्ति अपने साथ ₹500 के नोटों का बंडल लेकर आया था। अचानक एक शरारती बंदर ने बंडल झपट लिया और पेड़ पर चढ़ गया।
बंदर ने नोटों को फाड़कर या फेंककर पेड़ से नीचे गिराना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि जमीन पर मौजूद लोगों पर नोटों की बारिश सी होने लगी। यह दृश्य देखते ही वहां मौजूद भीड़ में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। लोग दौड़ते हुए गिरे हुए नोट बटोरने लगे।
बंदरों से मानवीय संघर्ष—कारण और समाधान
कारण क्या हैं?
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बढ़ती शहरीकरण, जंगलों की कटाई और कृषि भूमि के विस्तार ने बंदरों को मानव आवासों के और करीब ला दिया है। इससे वे खाने की चीज़ों और इस्तेमाल की वस्तुओं तक पहुंचने लगे हैं।
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पर्यटन स्थलों और मंदिरों के आस-पास बंदरों की संख्या में वृद्धि हुई है, जहाँ वे खाने-पीने और सौन्दर्य सामग्री से आकर्षित होते हैं।
संभावित समाधान
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वन प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन को बंदरों के लिए जंगल व प्राकृतिक आवास का पुनर्निर्माण और जंगल के टुकड़ों को जोड़ने के लिए काम करना चाहिए।
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किसानों और शहरवासियों को बंदरों से हुए नुकसान के लिए मुआवज़ा प्रणाली के माध्यम से संरक्षण के पक्ष में रखा जा सकता है ।
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पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर बंदरों को खिलाने पर रोक और नियंत्रित फीडिंग पॉइंट्स तैयार करना आवश्यक है।
निष्कर्ष
अऊरैया की “मनी रेन” घटना, जहाँ एक बंदर ने पेड़ से नोट बरसाए, मनोरंजन और हैरानी का अद्भुत मिश्रण थी। लेकिन यह सिर्फ एक घटना नहीं—यह भारत में लगातार बढ़ते मानवीय-बंदर संघर्ष का एक आइना है। चाहे नक़द हो, आभूषण, फल या फोन—बंदरों की शरारतें भले ही मनोरंजक लगती हों, लेकिन यह हमें याद दिलाती हैं कि हमें पारिस्थितिकी और वन्यजीव व्यवहार के बीच संतुलन बनाए रखना कितना ज़रूरी है।
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