




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच चीन के तियानजिन में हुई एक खास मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। SCO (शंघाई सहयोग संगठन) शिखर सम्मेलन के बाद दोनों नेता एक ही कार में सवार होकर लगभग 45 मिनट तक सफर करते रहे। यह साझा यात्रा न सिर्फ दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों का प्रतीक है, बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच भारत की संतुलित कूटनीति को भी रेखांकित करती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा औपचारिकता से कहीं अधिक थी। निजी और गोपनीय माहौल में हुई इस बातचीत में कई रणनीतिक और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीर के साथ लिखा:
“SCO शिखर सम्मेलन स्थल से निकलने के बाद मैं और पुतिन राष्ट्रपति साथ में द्विपक्षीय बैठक की ओर निकले। उनसे बातचीत हमेशा ज्ञानवर्धक होती है।”
संभावित मुद्दे जिन पर हुई चर्चा
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ऊर्जा सुरक्षा – भारत की तेल और गैस जरूरतों में रूस की अहम भूमिका है। पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से ऊर्जा आयात बनाए रखा है।
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यूक्रेन संकट – भारत लगातार युद्धविराम और शांति की वकालत करता रहा है। मोदी और पुतिन की बातचीत में इस मुद्दे पर विशेष चर्चा हुई होगी।
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रक्षा सहयोग – भारत-रूस के बीच हथियार, मिसाइल और तकनीकी सहयोग लंबे समय से चला आ रहा है। मौजूदा परिस्थितियों में इसे और मजबूत बनाने पर विचार हुआ होगा।
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वैश्विक राजनीति और बहुध्रुवीय व्यवस्था – SCO जैसे मंच पर भारत, रूस और चीन का बढ़ता सामंजस्य पश्चिमी देशों के लिए नई चुनौती प्रस्तुत करता है।
यह घटना दिखाती है कि भारत और रूस केवल कूटनीतिक रिश्तों में ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भरोसे में भी गहराई रखते हैं। साझा कार में सफर करना दोनों नेताओं की नजदीकी और आपसी संवाद को सहज बनाने का तरीका था। रूस और भारत दोनों ही पश्चिमी दबावों से स्वतंत्र अपने रिश्ते मजबूत कर रहे हैं।
अमेरिका और पश्चिमी देश इस मुलाकात को करीब से देख रहे हैं। उनका मानना है कि भारत रूस को संतुलित सहयोग देकर पश्चिमी रणनीति को चुनौती दे रहा है। चीन के लिए यह संदेश है कि भारत-Russia संबंध मजबूत हैं और SCO के भीतर सामंजस्य की गुंजाइश बनी हुई है। वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के लिए यह संकेत है कि भारत बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है।
भारत और रूस (सोवियत संघ) के बीच संबंध दशकों पुराने हैं। 1971 में हस्ताक्षरित शांति, मित्रता और सहयोग संधि ने दोनों देशों को स्थायी मित्र बनाया। रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में रूस भारत का प्रमुख साझेदार रहा है। मौजूदा दौर में भी रूस भारत को किफायती ऊर्जा उपलब्ध कराकर रणनीतिक सहयोग जारी रखे हुए है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की साझा कार यात्रा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। भारतीय यूज़र्स ने इसे “दोस्ती की नई मिसाल” बताया। चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इस घटना को सकारात्मक दृष्टि से देखा गया। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का जीवंत उदाहरण बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का साझा कार सफर केवल औपचारिक घटना नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक संदेश था। यह इस बात का प्रतीक है कि भारत और रूस के रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और भविष्य में भी वैश्विक राजनीति के बदलते समीकरणों के बीच और मजबूत होंगे।
भारत ने एक बार फिर साबित किया है कि वह न केवल पश्चिमी और पूर्वी शक्तियों के बीच संतुलन साध सकता है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी स्वतंत्र और बहुपक्षीय कूटनीति को भी मजबूती से प्रस्तुत कर सकता है।