




बॉलीवुड की चमक-दमक भरी दुनिया में सितारों के करियर को ऊंचाई पर ले जाने या अचानक नीचे गिरा देने वाली कहानियों की भरमार है। कभी एक सही फिल्म किसी स्टार को सुपरस्टार बना देती है, तो कभी एक गलत फैसले या लापरवाही से किसी और का करियर संवर जाता है। ऐसी ही एक दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी है संजय दत्त और जैकी श्रॉफ की।
यह कहानी उस दौर की है जब संजय दत्त इंडस्ट्री में तेजी से अपनी पहचान बना रहे थे। उनकी पर्सनैलिटी, डायलॉग डिलीवरी और एक्शन इमेज उन्हें बाकी एक्टर्स से अलग बनाती थी। कई फिल्ममेकर्स उन्हें साइन करने के लिए उत्सुक रहते थे। इसी बीच एक बड़ी फिल्म उनके पास आई, जिसने उनके करियर को और भी बुलंदी तक पहुंचा सकती थी। लेकिन कहते हैं न कि वक्त और हालात इंसान की किस्मत बदल देते हैं। यही हुआ संजू बाबा के साथ।
संजय दत्त को उस फिल्म का हिस्सा बनना था, लेकिन उनकी एक लापरवाही ने पूरी स्थिति बदल दी। इंडस्ट्री में अक्सर शूटिंग शेड्यूल्स, प्रोडक्शन हाउस की उम्मीदें और फिल्म की प्लानिंग बहुत मायने रखती हैं। संजय दत्त ने उस वक्त समय पर जिम्मेदारी नहीं निभाई। कहा जाता है कि उनकी निजी जिंदगी के उतार-चढ़ाव और पेशेवर रवैये की कमी ने प्रोजेक्ट से उनका नाम हटा दिया।
निर्माताओं के लिए अब फिल्म को बचाना और आगे बढ़ाना जरूरी हो गया। ऐसे में उनकी नजर पड़ी जैकी श्रॉफ पर।
जैकी श्रॉफ उस दौर में इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे थे। उनकी मेहनत और अभिनय क्षमता को लोग पहचानते जरूर थे, लेकिन उन्हें अभी तक वह बड़ी फिल्म नहीं मिली थी, जो उनके करियर को एक नया आयाम दे सके। संजय दत्त की जगह जब यह फिल्म जैकी श्रॉफ को ऑफर की गई, तो यह उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं था।
जैकी ने इस मौके को हाथों-हाथ लिया और अपने अभिनय से फिल्म को सफल बना दिया। नतीजा यह हुआ कि यह फिल्म जैकी श्रॉफ के करियर का टर्निंग प्वाइंट बन गई। वह रातों-रात चर्चा में आ गए और इंडस्ट्री के बड़े फिल्मकारों की नजर उन पर टिक गई।
उस एक फिल्म के बाद जैकी श्रॉफ की पहचान इंडस्ट्री में पूरी तरह से बदल गई। अब वे सिर्फ एक स्ट्रगलिंग एक्टर नहीं रहे, बल्कि बड़े बैनरों और निर्देशकों की पहली पसंद बनने लगे। उनके करियर ने तेजी से उड़ान भरी और उन्होंने कई हिट फिल्में दीं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर संजय दत्त वह फिल्म करते, तो शायद जैकी श्रॉफ को यह सफलता इतनी जल्दी नहीं मिलती। लेकिन किस्मत ने उन्हें सही समय पर सही मौका दिया और उन्होंने उसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि फिल्म इंडस्ट्री में किसका करियर कब और कैसे बदल जाए, यह कोई नहीं जानता। कभी एक्टर की लापरवाही दूसरे के लिए मौका बन जाती है, तो कभी किसी का संघर्ष उसे सफलता दिला देता है।
जैकी श्रॉफ और संजय दत्त के बीच की यह कहानी आज भी फिल्म इंडस्ट्री के गलियारों में चर्चा का विषय रहती है। जहां एक ओर संजय दत्त अपनी गलतियों और उतार-चढ़ाव के बावजूद लंबे समय तक इंडस्ट्री में टिके रहे, वहीं जैकी श्रॉफ ने उस मौके का पूरा फायदा उठाकर खुद को स्टार साबित किया।
संजय दत्त की लापरवाही से शुरू हुई यह कहानी जैकी श्रॉफ के करियर के लिए सुनहरा अध्याय बन गई। यह उदाहरण साफ दिखाता है कि इंडस्ट्री में मौके की अहमियत कितनी बड़ी होती है और सही समय पर सही फैसला किसी के जीवन की दिशा बदल सकता है।