




दिल्ली के वाहन चालकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। अगर आपके ऊपर ट्रैफिक चालान लंबित है और आप उसे लेकर चिंतित हैं, तो 13 सितंबर को आपके पास उसे निपटाने का सुनहरा अवसर होगा। दरअसल, दिल्ली में लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें ट्रैफिक चालानों का निपटारा किया जाएगा। इस पहल से न केवल चालान भुगत रहे वाहन चालकों को राहत मिलेगी, बल्कि अदालतों पर भी मामलों का बोझ कम होगा।
लोक अदालत न्यायपालिका की एक वैकल्पिक व्यवस्था है, जहाँ मामूली और आपसी सहमति से निपटाए जा सकने वाले मामलों का समाधान किया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को त्वरित और सुलभ न्याय दिलाना है। यहाँ फैसले आपसी समझौते के आधार पर होते हैं और इन पर किसी भी तरह की अपील नहीं की जा सकती। ट्रैफिक चालानों का निपटारा लोक अदालत में बड़ी संख्या में किया जाता है क्योंकि यह छोटे-छोटे मामलों में आता है।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस मिलकर इस लोक अदालत का आयोजन कर रहे हैं। इस दिन हजारों ट्रैफिक चालान मामलों की सुनवाई होगी। लोगों को मौके पर ही समझौता कर चालान का निपटारा करने का अवसर मिलेगा। लंबे समय से लंबित चालान मामलों में फंसे वाहन चालकों को राहत मिलेगी।
लोक अदालत में मुख्य रूप से ऐसे चालान निपटाए जाएंगे जो ओवर स्पीडिंग, नो पार्किंग उल्लंघन, लाल बत्ती तोड़ना, सीट बेल्ट और हेलमेट से जुड़ी उल्लंघन, अन्य छोटे मोटर वाहन अधिनियम संबंधी मामले। गंभीर अपराध जैसे ड्रिंक एंड ड्राइव, खतरनाक ड्राइविंग, दुर्घटना से जुड़े केस लोक अदालत के दायरे से बाहर रहेंगे।
वाहन चालक को अपने चालान से संबंधित दस्तावेज़ लेकर लोक अदालत पहुंचना होगा। वहां मामले की सुनवाई होगी और जुर्माना कम या आपसी सहमति से तय किया जाएगा। निर्धारित राशि का भुगतान करने पर चालान का मामला पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। भुगतान के बाद चालक को आधिकारिक रसीद दी जाएगी।
चालान निपटाने के फायदे
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जुर्माने में छूट: अक्सर लोक अदालत में चालान की राशि कम हो जाती है।
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समय की बचत: महीनों तक कोर्ट के चक्कर लगाने से छुटकारा।
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कोई अपील नहीं: लोक अदालत का फैसला अंतिम और बाध्यकारी होता है।
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रिकॉर्ड क्लियर: चालान निपटाने के बाद वाहन मालिक का ट्रैफिक रिकॉर्ड साफ हो जाता है।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम न केवल वाहन चालकों के लिए राहत देगा बल्कि न्यायपालिका पर भी बोझ कम करेगा। रोज़ाना हजारों चालान कटते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या अदालतों तक पहुँचती है। लोक अदालत से इन मामलों का त्वरित निपटारा संभव है। वहीं, न्यायपालिका के अधिकारियों ने कहा कि लोक अदालत के जरिए लोगों में कानून के प्रति जागरूकता और विश्वास बढ़ता है।
लोगों में इस लोक अदालत को लेकर खासा उत्साह है। कई वाहन चालकों का कहना है कि चालान की भारी राशि चुकाना मुश्किल होता है, ऐसे में लोक अदालत में छूट मिलना बड़ी राहत है। कुछ ने यह भी कहा कि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से होने चाहिए ताकि चालान बोझ न बनें।
दिल्ली में हर महीने लाखों चालान काटे जाते हैं। ई-चालान प्रणाली के आने के बाद से यह संख्या और बढ़ गई है। ऐसे में लोक अदालत एक व्यावहारिक समाधान है, जो बड़ी संख्या में लंबित चालानों को खत्म कर सकती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर लोक अदालतों का आयोजन नियमित रूप से होता रहा, तो ट्रैफिक नियमों का पालन बढ़ेगा। कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या घटेगी। जनता और कानून व्यवस्था के बीच भरोसा और मजबूत होगा।
दिल्ली में 13 सितंबर को होने वाली लोक अदालत उन लाखों वाहन चालकों के लिए एक सुनहरा मौका है, जिन पर ट्रैफिक चालान लंबित हैं। इस पहल से न केवल आम जनता को राहत मिलेगी बल्कि अदालतों और पुलिस प्रशासन का बोझ भी कम होगा।
अगर आप भी अपने ट्रैफिक चालान से परेशान हैं, तो यह अवसर हाथ से न जाने दें। लोक अदालत में जाकर चालान का निपटारा करें और स्वच्छ ट्रैफिक रिकॉर्ड के साथ निश्चिंत होकर वाहन चलाएं।