




महाराष्ट्र वन विभाग में 2025 में अ से ड ग्रुप तक कुल 2,408 पद रिक्त हैं। इस कमी का असर सीधे तौर पर वन्यजीवों और बाघों के संरक्षण पर पड़ रहा है। विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारियों की कमी के कारण वन्य क्षेत्रों में निगरानी और सुरक्षा कमजोर पड़ गई है। खासकर बाघों के आवास क्षेत्रों में शिकार और अवैध गतिविधियों को रोकने में वन विभाग को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले पाँच वर्षों में 100 से अधिक बाघ शिकार की घटनाएँ हुई हैं। इन घटनाओं ने वन्यजीव संरक्षण पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों के बिना बाघों और अन्य दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण मुश्किल है। वन्य क्षेत्रों में कमीशन और भ्रष्टाचार की शिकायतें भी बढ़ गई हैं, जिससे सुरक्षा और निगरानी प्रभावित हो रही है।
वन्यजीव विशेषज्ञों और पर्यावरण संगठन ने शीघ्र भर्ती प्रक्रिया की मांग की है। उनका कहना है कि पदों की संख्या जल्द से जल्द भरी जानी चाहिए ताकि वन क्षेत्र में पर्याप्त निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अगर यह कमी जारी रही, तो महाराष्ट्र के बाघ संरक्षण प्रोजेक्ट और जैव विविधता पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
वन विभाग की चुनौतियाँ
महाराष्ट्र वन विभाग वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है:
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मानव-वन्यजीव संघर्ष – सीमावर्ती क्षेत्रों में बाघ और अन्य वन्यजीव अक्सर गाँवों में प्रवेश कर जाते हैं।
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शिकार और अवैध गतिविधियाँ – वन क्षेत्रों में अवैध शिकार और तस्करी की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
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कर्मचारियों की कमी – पर्याप्त स्टाफ न होने से नियमित निगरानी और अभियान प्रभावित हो रहे हैं।
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प्रशासनिक चुनौतियाँ – भर्ती प्रक्रिया में देरी और अधिकारियों की कमी वन्यजीव संरक्षण को बाधित कर रही है।
वन्यजीव सुरक्षा के लिए सुझाव
विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने निम्न सुझाव दिए हैं:
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शीघ्र भर्ती प्रक्रिया – खाली पदों को तुरंत भरा जाए।
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कर्मचारियों का प्रशिक्षण – वन्यजीवों और विशेष रूप से बाघों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए।
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तकनीकी निगरानी – कैमरा ट्रैप, ड्रोन और अन्य तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया जाए।
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सख्त कानूनी कार्रवाई – अवैध शिकार और तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
बाघ महाराष्ट्र का राष्ट्रीय प्रतीक हैं और जैव विविधता के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बाघों की संख्या कम होने से पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वन विभाग के रिक्त पद भरे नहीं गए, तो बाघ संरक्षण पर गंभीर खतरा होगा।
महाराष्ट्र वन विभाग में 2,408 पदों की कमी न केवल प्रशासनिक समस्या है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के लिए एक गंभीर संकट भी है। बाघों और अन्य दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा के लिए त्वरित कदम उठाना आवश्यक है। पर्यावरण विशेषज्ञ और वन विभाग की निगरानी इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी। यह स्थिति राज्य सरकार और केंद्र सरकार के लिए भी चेतावनी है कि वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र के बाघ और वन्यजीव केवल राज्य की धरोहर नहीं हैं, बल्कि पूरे देश और वैश्विक जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए इन पदों की भर्ती जल्द से जल्द कर वन क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना आज की प्राथमिकता होनी चाहिए।