




बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) ने राज्यभर के सभी पंजीकृत मंदिरों और मठों को निर्देशित किया है कि वे अपने परिसर में अखाड़ों की स्थापना करें और नियमित रूप से सत्यनारायण कथा और भगवती पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करें। इस पहल का उद्देश्य न केवल शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देना है, बल्कि समाज में धार्मिक जागरूकता और सकारात्मकता भी फैलाना है।
BSBRT के अध्यक्ष रणबीर नंदन ने बताया कि यह निर्देश राज्यभर के 2,499 पंजीकृत मंदिरों और मठों के लिए है। उनका कहना है, “हम चाहते हैं कि मंदिरों में अखाड़ों की स्थापना हो, ताकि युवा पीढ़ी शारीरिक संस्कृति से जुड़ सके और मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त हो।” यह पहल पारंपरिक भारतीय खेलों और मार्शल आर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए है, जो हमारे सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं।
रणबीर नंदन ने आगे कहा, “हमने मंदिरों और मठों को निर्देशित किया है कि वे हर महीने पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सत्यनारायण कथा और भगवती पूजा का आयोजन करें। इन पूजा अनुष्ठानों से घरों में समृद्धि, सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।” इसके अलावा, लोगों को अपने घरों में भी इन पूजा अनुष्ठानों को आयोजित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
BSBRT का यह कदम समाज में धार्मिक जागरूकता और सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि भविष्य में केवल वही मंदिर और मठ पंजीकरण के योग्य होंगे, जो अपने परिसर में अखाड़े की व्यवस्था करेंगे। यह कदम धार्मिक संस्थाओं को समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगा।
BSBRT ने 18 सितंबर को पटना में एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें यह संदेश फैलाया जाएगा कि मंदिर और मठ केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र भी हो सकते हैं। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य शिविरों, सांस्कृतिक आयोजनों और यज्ञों का आयोजन किया जाएगा, ताकि लोगों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण के महत्व से अवगत कराया जा सके।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की यह पहल राज्यभर में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। मंदिरों और मठों को शारीरिक और मानसिक कल्याण के केंद्र के रूप में विकसित करने से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित किया जा सकेगा।