




भारत को आज उसका नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। वरिष्ठ भाजपा नेता और तमिलनाडु से आने वाले दिग्गज नेता सी.पी. राधाकृष्णन ने शुक्रवार, 12 सितंबर 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामय समारोह में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
राष्ट्रपति भवन का दरबार हाल सुबह से ही खास मेहमानों की मौजूदगी से खचाखच भरा था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, संसद सदस्य और कई राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे। पूरा माहौल उत्साह और गरिमा से भरा हुआ था। जैसे ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सी.पी. राधाकृष्णन को शपथ दिलाई, तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।
सी.पी. राधाकृष्णन का नाम भारतीय राजनीति में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े रहे हैं। तमिलनाडु से दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। संगठनात्मक और प्रशासनिक क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उन्हें साफ-सुथरी छवि और जनहित से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। उनका राजनीतिक करियर हमेशा अनुशासन और संगठन को मजबूती देने की दिशा में काम करने के लिए पहचाना गया है।
भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। वह राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी होती है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या निधन की स्थिति में वे कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद भी संभालते हैं। इस लिहाज से सी.पी. राधाकृष्णन का कार्यकाल आने वाले वर्षों में भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचना सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी अहम है। दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु से आने वाले नेता के उपराष्ट्रपति बनने को भाजपा की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। विपक्षी दलों ने भी उन्हें शुभकामनाएं दी हैं और उम्मीद जताई है कि वे इस पद की गरिमा को बनाए रखेंगे।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि “हम उम्मीद करते हैं कि राधाकृष्णन जी सदन को निष्पक्ष और संतुलित तरीके से चलाएंगे।”
उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन के सामने कई चुनौतियाँ होंगी:
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राज्यसभा में बढ़ते शोरगुल और हंगामों को नियंत्रित करना।
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विपक्ष और सरकार के बीच संवाद को मजबूत करना।
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सदन की उत्पादकता को बढ़ाना।
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युवा सांसदों को संसदीय परंपराओं से जोड़ना।
विशेषज्ञ मानते हैं कि उनकी सादगीपूर्ण और संवादप्रिय शैली उन्हें इस दिशा में सफल बना सकती है।
भारत के इतिहास में यह 15वीं बार है जब किसी नेता ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली है। राधाकृष्णन से पहले जगदीप धनखड़ इस पद पर आसीन थे। देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे, जिनके नाम से यह पद हमेशा सम्मान के साथ जोड़ा जाता है। अब देखना होगा कि सी.पी. राधाकृष्णन इस परंपरा को किस तरह आगे बढ़ाते हैं।
सी.पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक नया अध्याय है। उनकी पृष्ठभूमि, राजनीतिक अनुभव और जनसेवा की छवि को देखते हुए उनसे बड़ी उम्मीदें हैं। अब पूरा देश देख रहा है कि वे इस पद की गरिमा और जिम्मेदारी को किस तरह निभाते हैं।