




भारत ने आज अपने 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में सी.पी. राधाकृष्णन का स्वागत किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सी.पी. राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति के रूप में नियुक्ति भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। वे भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के वरिष्ठ नेता हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं। उन्होंने 1998 और 1999 में लोकसभा चुनावों में कोयंबटूर से जीत हासिल की थी। इसके बाद, वे 2003 से 2006 तक तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष रहे। हाल ही में, वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे, लेकिन उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के प्रभारी राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
12 सितंबर को आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने राधाकृष्णन को शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनके कार्यकाल को सफल बनाने की कामना की। मोदी ने कहा, “सी.पी. राधाकृष्णन जी एक समर्पित सार्वजनिक सेवक हैं, जिन्होंने अपने जीवन को राष्ट्र निर्माण, सामाजिक सेवा और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने में समर्पित किया है। मैं उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जिन्होंने जुलाई में अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, इस समारोह में उपस्थित रहे। उनका यह सार्वजनिक रूप से पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था। उनके इस कदम ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना दिया है।
उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन का कार्यकाल भारतीय राजनीति में एक नई दिशा की ओर संकेत करता है। उनकी नियुक्ति से यह प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार ने एक ऐसे नेता को चुना है जो पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही स्थानों पर संतुलित और प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता से यह उम्मीद की जा रही है कि वे उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को बनाए रखते हुए संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे।
राधाकृष्णन की नियुक्ति से यह भी संकेत मिलता है कि भाजपा और आरएसएस ने एक ऐसे नेता को चुना है जो पार्टी की विचारधारा और कार्यशैली को समझते हैं और उसे आगे बढ़ाने में सक्षम हैं। उनकी नियुक्ति से यह भी स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार ने एक ऐसे नेता को चुना है जो विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ संवाद स्थापित करने में सक्षम हैं और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे।
इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा, केंद्रीय मंत्री, सांसद और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। समारोह के दौरान, राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली और इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी और अन्य उपस्थित नेताओं से आशीर्वाद लिया।
राधाकृष्णन की नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि वे उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से निभाएंगे और भारतीय राजनीति में एक नई दिशा की ओर मार्गदर्शन करेंगे। उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता से यह आशा की जा रही है कि वे उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को बनाए रखते हुए संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे।
राधाकृष्णन की नियुक्ति के साथ ही उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी एक नए नेता के हाथों में आ गई है, जो भारतीय राजनीति में एक नई उम्मीद और दिशा की ओर संकेत करता है। उनके कार्यकाल के दौरान, यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस प्रकार से उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को बनाए रखते हुए देश की सेवा में अपनी भूमिका निभाते हैं।