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    भारत को सॉफ्ट पॉवर के साथ हार्ड पॉवर भी दिखानी होगी: डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह

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         भारत को वैश्विक परिदृश्य में अपनी सॉफ्ट पॉवर के साथ हार्ड पॉवर का भी प्रभाव दिखाना होगा। यह बात डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को कही। उन्होंने वैश्विक भू-राजनीतिक परिवर्तनों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की भूमिका पर विस्तृत टिप्पणी की।

    डिफेंस सेक्रेटरी ने कहा कि दुनिया भर में लोकलुभावन नेतृत्व और राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों के उदय ने वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार की प्रवृत्तियों को धीमा कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शक्ति संतुलन अब पहले से अधिक जटिल और अस्थिर हो गया है।

    राजेश कुमार सिंह ने आगे कहा, “ऐसे समय में, केवल सॉफ्ट पॉवर पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। भारत को अपनी रणनीतिक सुरक्षा क्षमताओं, सैन्य ताकत और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से अपनी हार्ड पॉवर को भी प्रदर्शित करना होगा।”

    सॉफ्ट पॉवर का अर्थ है भारत की वैश्विक छवि, सांस्कृतिक प्रभाव, कूटनीतिक नेतृत्व और आर्थिक ताकत के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालना। वहीं, हार्ड पॉवर में सैन्य शक्ति, रक्षा तकनीक और सुरक्षा उपाय शामिल हैं।

    राजेश कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में भारत के लिए यह आवश्यक है कि सॉफ्ट और हार्ड पॉवर का संतुलन स्थापित किया जाए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई देशों ने सॉफ्ट पॉवर पर अत्यधिक निर्भर रहते हुए अपनी रणनीतिक सुरक्षा कमजोर कर ली।

    डिफेंस सेक्रेटरी ने यह भी कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा नीतियों में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:

    1. सशक्त सैन्य तैयारियां: सीमाओं की सुरक्षा, आधुनिक हथियार प्रणाली और रणनीतिक तकनीकों का विकास।

    2. भूराजनीतिक गठबंधन: अंतरराष्ट्रीय सहयोग, रक्षा साझेदारी और रणनीतिक समझौतों को मजबूत करना।

    3. सॉफ्ट पॉवर के माध्यम से प्रभाव: भारतीय संस्कृति, शिक्षा, और तकनीकी क्षमताओं को वैश्विक मंच पर प्रभावी रूप से प्रदर्शित करना।

    4. डिजिटल सुरक्षा और साइबर डिफेंस: तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना।

    राजेश कुमार सिंह ने वैश्विक परिदृश्य का मूल्यांकन करते हुए कहा कि एशिया और दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है। उन्होंने चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की गतिविधियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को हर क्षेत्र में तैयार रहना होगा।

    उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने हाल के वर्षों में अपनी सैन्य और रणनीतिक क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार किया है, लेकिन वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभाने के लिए हार्ड पॉवर को और सशक्त बनाना आवश्यक है।

    डिफेंस सेक्रेटरी ने भारत की सांस्कृतिक, तकनीकी और आर्थिक ताकत को वैश्विक स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि सॉफ्ट पॉवर के माध्यम से भारत अपने विदेश नीति उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है और विश्व समुदाय में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।

    राजेश कुमार सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की शिक्षा, योग, सिनेमा, आईटी और स्टार्टअप उद्योग ने पहले ही सॉफ्ट पॉवर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अब इसे हार्ड पॉवर के साथ संतुलित करना आवश्यक है।

    रणनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत का यह दृष्टिकोण सॉफ्ट और हार्ड पॉवर का संतुलन बनाने की दिशा में सही कदम है। विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान वैश्विक अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव में यह संतुलन देश की सुरक्षा और विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक नीतियों को एक साथ पेश करना, पड़ोसी देशों और वैश्विक मंच पर उसके प्रभाव को बढ़ाएगा।

    डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह का यह बयान भारत की भू-राजनीतिक स्थिति और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल सॉफ्ट पॉवर पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। भारत को अपनी सैन्य और रणनीतिक क्षमताओं को भी प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।

    इस दृष्टिकोण के माध्यम से भारत न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में भारत का यह संतुलित दृष्टिकोण उसे वैश्विक राजनीति में और प्रभावी बनाएगा।

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