




संवाददाता | अजीत कुमार कुशवाह :- आज जिला अस्पताल का नज़ारा कुछ बदला-बदला सा दिखाई दे रहा है। दीवारें नई पुताई से चमक रही हैं, दरवाजे साफ-सुथरे हैं और जालों का कोई नामोनिशान नहीं। हालांकि, यह बदलाव स्थायी नहीं है। दरअसल, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक आज यहां अस्पताल का स्थलीय निरीक्षण करने आ रहे हैं।
तैयारियों का दौर
सुबह से ही जिला अस्पताल में हलचल शुरू हो गई है। सुरक्षा प्रोटोकॉल, साफ-सफाई और मरम्मत के लिए पूरे स्टाफ को जुटाया गया। अस्पताल में दिव्यांगों के लिए बने शौचालयों पर ताले लगे हैं और पुरुषों के शौचालयों में भी ‘अंडर रिपेयर’ के पोस्टर लगाए गए हैं।
मंत्री बृजेश पाठक खेरिया सिविल एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर द्वारा आगरा आएंगे और सड़क मार्ग से दोपहर 2 बजे जिला अस्पताल पहुंचेंगे। उनके कार्यक्रम में निरीक्षण, समीक्षा बैठक और यूपी मेडिकल एसोसिएशन के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना शामिल है।
सवाल आम जनता के लिए
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या केवल वीआईपी दौरे के लिए ही अस्पताल का कायाकल्प किया जाता है? आम नागरिक, जो रोजाना इलाज के लिए आते हैं, उनके लिए ये सुविधाएं क्यों नियमित नहीं होतीं? क्या हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था केवल मंत्रियों के दौरे तक सीमित रह गई है?
सवाल यह भी है कि क्या इतने कम समय में मंत्री अस्पताल की असली परिस्थितियों को देख पाएंगे, या केवल वही दिखाया जाएगा जो दिखाने योग्य है।
व्यवस्था आम जनता के लिए क्यों नहीं?
दिव्यांगों और सामान्य नागरिकों के लिए सुविधाओं की कमी साफ दिख रही है। अस्पताल में वीआईपी दौरे के लिए रातों-रात पुताई, सफाई और मरम्मत की जाती है, जबकि आम मरीजों को समान सुविधाएं नियमित रूप से नहीं मिलतीं।
यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है — क्या हमारे तंत्र की वास्तविक क्षमता इतनी कमजोर है कि इसे चलाने के लिए वीआईपी दौरे का इंतजार करना पड़ता है? क्या आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए किसी मंत्री या अधिकारी की आवश्यकता होती है?
आगरा जिला अस्पताल का यह कायाकल्प केवल मंत्री बृजेश पाठक के दौरे तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। नियमित निगरानी, समय पर मरम्मत और साफ-सफाई सुनिश्चित करके ही आम जनता के लिए वास्तविक बदलाव लाया जा सकता है।