




भारतीय लोकतंत्र को मजबूत और पारदर्शी बनाने के लिए कई व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें से एक प्रमुख नाम है जगदीप छोकर का, जो भारतीय लोकतंत्र के सुधारक के रूप में पहचाने जाते हैं। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनसे चुनावी पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि हुई।
जगदीप छोकर ने इलेक्टोरल बॉन्ड की प्रणाली पर सवाल उठाया, जिसे उन्होंने चुनावी चंदे की पारदर्शिता में बाधक माना। उनका मानना था कि इस प्रणाली से राजनीतिक दलों को अनाम चंदे प्राप्त होते हैं, जिससे भ्रष्टाचार और काले धन को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने इस प्रणाली की समाप्ति की मांग की, ताकि चुनावी चंदे की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और जवाबदेह हो सके।
चुनावों में प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता, आपराधिक रिकॉर्ड और संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करना जगदीप छोकर का एक और महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि प्रत्याशियों की पूरी जानकारी मतदाताओं के लिए उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें। इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी और मतदाताओं को बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिली।
जगदीप छोकर ने राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में लाने की वकालत की। उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक दलों को भी सरकारी संस्थाओं की तरह जवाबदेह होना चाहिए, ताकि उनके कार्यों में पारदर्शिता बनी रहे। इससे राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर निगरानी रखना संभव हुआ और लोकतंत्र में जवाबदेही सुनिश्चित हुई।
जगदीप छोकर ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में ‘नोटा’ (None of the Above) विकल्प की शुरुआत की। इससे मतदाताओं को यह अधिकार मिला कि वे किसी भी प्रत्याशी को वोट न देकर अपनी नाखुशी व्यक्त कर सकें। यह कदम चुनावी प्रक्रिया में मतदाताओं की भागीदारी और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाला था।
जगदीप छोकर ने SIR (संपत्ति, आपराधिक रिकॉर्ड और योग्यता) प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उन्होंने सुझाव दिया कि इस प्रक्रिया को और अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि प्रत्याशियों की वास्तविक स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सके। इससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार हुआ और मतदाताओं को सही जानकारी मिली।
जगदीप छोकर के इन सुधारों ने भारतीय चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और लोकतांत्रिक बनाया। उनके योगदानों से यह स्पष्ट होता है कि एक मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी सुधार अत्यंत आवश्यक हैं। उनकी पहलें आज भी चुनावी सुधारों की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।