




कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घोषणा की कि राज्य में 22 सितंबर से 7 अक्टूबर 2025 तक जाति जनगणना कराई जाएगी। इस प्रक्रिया की अनुमानित लागत ₹420 करोड़ होगी, जो पिछली जनगणना की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है।
जाति जनगणना का यह सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान, राज्यभर में लगभग 7 करोड़ नागरिकों से जानकारी एकत्र की जाएगी। सर्वेक्षण में 54 से अधिक सवाल होंगे, जिनमें जाति, सामाजिक और आर्थिक स्थिति से संबंधित जानकारी शामिल होगी। इस प्रक्रिया को पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए एक विशेष मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाएगा।
इस जनगणना के लिए सरकार ने ₹420 करोड़ का बजट निर्धारित किया है। इसमें से ₹325 करोड़ सरकारी शिक्षकों को मानदेय देने के लिए आवंटित किए गए हैं। प्रत्येक शिक्षक को ₹20,000 तक का मानदेय मिलेगा। इसके अलावा, सर्वेक्षण के लिए आवश्यक अन्य संसाधनों पर भी खर्च किया जाएगा।
सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए नागरिकों को ऑनलाइन माध्यम से भी सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके लिए एक विशेष पोर्टल और मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, जिससे लोग घर बैठे अपनी जानकारी अपडेट कर सकेंगे। सरकार ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें।
इस जनगणना के परिणामों की रिपोर्ट दिसंबर 2025 तक तैयार की जाएगी। रिपोर्ट में विभिन्न जातीय समूहों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विस्तृत विवरण होगा, जो भविष्य में नीतिगत निर्णयों और योजनाओं के निर्माण में सहायक होगा।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस निर्णय को सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा, “यह जनगणना हमें विभिन्न जातीय समूहों की वास्तविक स्थिति को समझने में मदद करेगी, जिससे हम अधिक प्रभावी योजनाएं बना सकेंगे।”
कर्नाटक सरकार का यह कदम राज्य में जातीय समूहों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का सटीक आकलन करने में सहायक होगा। इससे न केवल सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ेगी, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समानता और न्याय की भावना भी मजबूत होगी।