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    “मेक इन इंडिया का असर: बड़ी कंपनियों के इम्पोर्ट बिल में भारी गिरावट, अरबों डॉलर की बचत”

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         भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम ने अब ठोस परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है। हालिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि बड़ी कंपनियों के इम्पोर्ट बिल में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे अरबों डॉलर की बचत हो रही है। यह बदलाव मुख्यतः ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में देखने को मिला है।

    मेक इन इंडिया का उद्देश्य भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाना है। इसके तहत सरकार ने देश में निवेश बढ़ाने और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें प्रमुख योजना है PLI (Production Linked Incentive) योजना, जिसका मकसद कंपनियों को स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

    सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बड़ी कंपनियों का इम्पोर्ट बिल पिछले वर्ष की तुलना में इस साल काफी घट गया है। ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अधिकतर आवश्यक घटकों का उत्पादन देश में करना शुरू कर दिया है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों ने भी अपने अधिकांश घटकों का स्थानीय उत्पादन शुरू कर दिया है। इससे विदेशी मुद्रा की बचत हुई और देश के व्यापार घाटे में कमी आई।

    ऑटो सेक्टर में यह बदलाव विशेष रूप से प्रभावशाली रहा है। कई प्रमुख वाहन निर्माता अब भारतीय आपूर्ति श्रृंखला पर भरोसा कर रहे हैं। घरेलू स्तर पर पार्ट्स उत्पादन के कारण कंपनियों को कच्चे माल की आयात लागत में कमी हुई है। साथ ही, यह कदम रोजगार सृजन और स्थानीय उद्योगों को भी मजबूती दे रहा है।

    इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भी PLI योजना का सकारात्मक असर दिखा। मोबाइल, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के निर्माण में अब अधिकतर घटक भारत में ही उत्पादित किए जा रहे हैं। इससे न केवल लागत घट रही है बल्कि विदेशी कंपनियों का भी निवेश आकर्षित हो रहा है।

    सरकार ने स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई सहायक कदम उठाए हैं। इसमें टेक्नोलॉजी हस्तांतरण, उत्पादन के लिए आसान लाइसेंसिंग और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन शामिल हैं। इन कदमों ने कंपनियों को देश में उत्पादन बढ़ाने और इम्पोर्ट कम करने के लिए प्रेरित किया।

    मेक इन इंडिया का यह कदम भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूत स्थिति दिला रहा है। विदेशी निवेशक अब भारत को उत्पादन और निर्यात का भरोसेमंद केंद्र मान रहे हैं। यह कदम भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिरता और दीर्घकालिक विकास की दिशा में ले जा रहा है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में मेक इन इंडिया और PLI योजनाओं का प्रभाव और स्पष्ट होगा। ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा अन्य सेक्टरों में भी स्थानीय उत्पादन बढ़ने की संभावना है। इससे इम्पोर्ट बिल में और गिरावट आएगी और भारत आर्थिक रूप से और सशक्त होगा।

    मेक इन इंडिया और PLI योजनाओं का असर अब स्पष्ट रूप से दिख रहा है। बड़ी कंपनियों का इम्पोर्ट बिल घटने और अरबों डॉलर की बचत होने से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। यह पहल रोजगार, निवेश और स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करने का उदाहरण प्रस्तुत करती है।

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