




आज की तेजी से बदलती दुनिया में सफलता पाना पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण और प्रतिस्पर्धी हो गया है। इस परिप्रेक्ष्य में, प्रख्यात उद्योग विशेषज्ञ और प्रबंधन विचारक महेश कुमार गोयल ने अपने ताज़ा संबोधन में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा – “खुद को सफलता के लिए तैयार कीजिए, क्योंकि यह समय एक बड़े संक्रमणकाल का है।”
महेश कुमार गोयल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश और दुनिया दोनों ही बड़े आर्थिक और तकनीकी बदलावों से गुजर रहे हैं। डिजिटल क्रांति, वैश्विक बाजार की अनिश्चितता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता प्रभाव और नई कार्यशैली – ये सभी परिवर्तन व्यक्तियों और संगठनों के सामने नई चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।
गोयल का मानना है कि इस संक्रमणकाल में वही लोग आगे बढ़ेंगे जो इन चुनौतियों को अवसर में बदलना जानते हैं। उन्होंने कहा कि केवल पुरानी रणनीतियों पर निर्भर रहने से सफलता नहीं मिलेगी, बल्कि नए कौशल और अनुकूलन क्षमता आवश्यक होगी।
अपने संबोधन में उन्होंने युवाओं और पेशेवरों को स्पष्ट संदेश दिया कि सफलता किसी भी युग में “तैयारी” और “अनुशासन” से ही संभव है। उन्होंने कहा कि हमें खुद को न केवल तकनीकी बदलावों के अनुरूप ढालना होगा, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनना होगा।
गोयल ने उदाहरण देते हुए कहा कि आज जो भी व्यक्ति डिजिटल टूल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और नेतृत्व कौशल में दक्ष है, वही आने वाले समय में करियर और व्यवसाय दोनों में आगे निकलेगा।
महेश कुमार गोयल ने इस मौके पर नेतृत्व क्षमता के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उनका कहना था कि संक्रमणकाल में संगठन या देश को आगे ले जाने के लिए मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता होती है। यह नेतृत्व केवल आदेश देने वाला नहीं बल्कि प्रेरणा देने वाला होना चाहिए।
उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि केवल नौकरी करना या व्यवसाय शुरू करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे लंबे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए दृष्टिकोण और दूरदर्शिता की भी ज़रूरत है।
गोयल ने कहा कि भारत इस समय आर्थिक रूप से एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। निवेश, उद्यमिता और स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे समय में अगर युवा अपने कौशल और ऊर्जा को सही दिशा में लगाएँ, तो आने वाला दशक भारत का हो सकता है।
उन्होंने इस संदर्भ में यह भी कहा कि वैश्विक कंपनियाँ अब भारत को बड़े अवसर के रूप में देख रही हैं। इसलिए भारतीय युवाओं और पेशेवरों को खुद को तैयार करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
महेश कुमार गोयल ने इस प्रक्रिया में शिक्षा और प्रशिक्षण की भूमिका पर भी ज़ोर दिया। उनका कहना था कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी की शिक्षा के अलावा लगातार नए कौशल सीखना अब आवश्यक है। “लाइफ-लॉन्ग लर्निंग” ही वह मंत्र है, जिससे कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक प्रासंगिक और सफल रह सकता है।
सिर्फ तकनीकी ज्ञान या नई जानकारी हासिल करना ही पर्याप्त नहीं है। गोयल ने कहा कि आत्मविश्वास और धैर्य भी सफलता की राह में अहम स्तंभ हैं। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि असफलता से डरने के बजाय उससे सीखें और उसे अगले प्रयास में सुधार का साधन बनाएं।
महेश कुमार गोयल के इस संदेश को सोशल मीडिया पर भी व्यापक समर्थन मिला। पेशेवरों और छात्रों ने इसे प्रेरक और समयानुकूल बताया। कई लोगों ने लिखा कि यह संदेश उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
महेश कुमार गोयल का यह संदेश केवल प्रेरणा का स्रोत ही नहीं है, बल्कि आज के दौर की सच्चाई भी है। वास्तव में, यह समय एक बड़े संक्रमणकाल का है, और इसमें सफलता पाने के लिए हर व्यक्ति को खुद को नए कौशल, नए दृष्टिकोण और अनुशासित प्रयासों से तैयार करना होगा।