




देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक बड़ा वित्तीय सौदा करके बाजार में हलचल मचा दी है। एसबीआई ने जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) को अपनी 13.18% हिस्सेदारी बेच दी है। इस सौदे से बैंक को लगभग 8,889 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।
यह सौदा न केवल SBI की बैलेंस शीट को मजबूत करेगा बल्कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में विदेशी निवेश की नई संभावनाओं के दरवाजे भी खोलेगा।
2020 का संकट और SBI का कदम
मार्च 2020 में जब यस बैंक (Yes Bank) वित्तीय संकट में फंस गया था, तब सरकार और रिज़र्व बैंक ने मिलकर एक बचाव योजना तैयार की। इस योजना के तहत SBI और सात प्राइवेट बैंकों ने यस बैंक में पूंजी लगाई।
उस समय SBI ने यस बैंक के शेयर मात्र ₹10 प्रति शेयर की दर से खरीदे थे। बैंकिंग संकट से जूझ रहे यस बैंक को इस निवेश से स्थिरता मिली और धीरे-धीरे वह फिर से सामान्य स्थिति की ओर लौटा।
SMBC को हिस्सेदारी बेचने का सौदा
अब चार साल बाद, SBI ने यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी का बड़ा हिस्सा बेचने का फैसला किया। बैंक ने कुल 413.44 करोड़ शेयर, जापान की SMBC को बेचे।
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प्रति शेयर कीमत: ₹21.50
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कुल डील वैल्यू: लगभग 8,889 करोड़ रुपये
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बिक्री हिस्सेदारी: 13.18%
यह सौदा भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
मुनाफे की बड़ी गणना
2020 में खरीदी गई हिस्सेदारी की कीमत और आज की बिक्री में अंतर ने SBI को जबरदस्त फायदा दिलाया।
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खरीद कीमत (2020): ₹10 प्रति शेयर
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बिक्री कीमत (2025): ₹21.50 प्रति शेयर
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लाभ: 13 गुना से अधिक मुनाफा
इस सौदे से SBI ने यह साबित कर दिया कि संकट में उठाया गया कदम दीर्घकालिक लाभकारी साबित हुआ।
यस बैंक की मौजूदा स्थिति
यस बैंक अब 2020 वाले संकट से काफी दूर निकल चुका है। बैंक ने अपनी बैलेंस शीट मजबूत की है। NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) का स्तर नियंत्रित हुआ है। मुनाफे और ग्राहकों का भरोसा दोनों वापस लौट रहे हैं।
SMBC जैसे वैश्विक बैंक का निवेश यस बैंक की भविष्य की विकास यात्रा को और मजबूत करेगा।
SBI की रणनीति
SBI ने यह कदम अपनी कैपिटल बफर को मजबूत करने और अन्य रणनीतिक निवेशों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से उठाया है। बैंक को इस डील से तुरंत नकदी मिलेगी। पूंजी अनुपात और बेहतर होगा। भविष्य में नई परियोजनाओं और ऋण वितरण क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
विदेशी निवेशकों का भरोसा
SMBC जैसे संस्थान का निवेश भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत है। यह सौदा दर्शाता है कि भारतीय बैंकों में विदेशी पूंजी आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में और भी विदेशी निवेशक भारतीय बैंकों में हिस्सेदारी लेने के लिए उत्सुक हो सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह डील SBI और Yes Bank दोनों के लिए लाभकारी है। SBI को मुनाफा और पूंजी मजबूती मिली। Yes Bank को अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग पार्टनरशिप का फायदा होगा। निवेशकों को भरोसा है कि यस बैंक की ग्रोथ स्टोरी अब और बेहतर होगी।
SBI की यह डील भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए एक मील का पत्थर है। संकटग्रस्त बैंक में समय पर निवेश करना और बाद में उससे भारी मुनाफा कमाना SBI की दूरदर्शिता को साबित करता है।