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अवैध हथियारों की सप्लाई और काले-बाजार पर चर्चा ने हाल के वर्षों में भारत की सुरक्षा एजेंसियों को गंभीर चिंता में डाल दिया है। विदेशी हथियार ब्रांड्स — जिनमें टर्किश-ब्रांड Zigana का नाम कई बार सामने आता है — से जुड़े मामले लगातार समाचार सुर्खियों का हिस्सा बन रहे हैं।
सीमा पार से अवैध हथियारों का प्रवेश संगठित अपराध नेटवर्क से जुड़ा होता है। यह न सिर्फ संगठित अपराध बल्कि स्थानीय अपराध दर को भी बढ़ा सकता है। पुलिस और जांच एजेंसियों का मानना है कि काले-बाज़ार में उपलब्ध हथियारों का असर समाज में असुरक्षा और हिंसा को बढ़ावा देने वाला हो सकता है।
Arms Act के तहत प्रावधान
भारत में हथियारों का स्वामित्व और उपयोग Arms Act, 1959 और उसके बाद आए संशोधनों के तहत नियंत्रित है।
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बिना लाइसेंस हथियार रखना अपराध है।
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अपराध की गंभीरता के आधार पर 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है।
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अवैध आयात या तस्करी मामलों में आजीवन कारावास तक का प्रावधान भी है।
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पुलिस और केंद्रीय एजेंसियाँ किसी भी अवैध हथियार मामले में तुरंत जब्ती और गिरफ्तारी की कार्रवाई कर सकती हैं।
 
सीमा सुरक्षा बल (BSF), कस्टम्स विभाग, स्थानीय पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस तरह के मामलों की निगरानी करती हैं।
हाल के वर्षों में कई छापेमारी अभियानों के दौरान अवैध हथियार और गोला-बारूद ज़ब्त किए गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी अवैध हथियार स्थानीय अपराधियों तक पहुँचते हैं, तो लूट, हत्या, धमकी और संगठित अपराध बढ़ जाता है। यह केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि समाज में भय का माहौल भी पैदा करता है।
नागरिक क्या करें?
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किसी भी संदिग्ध गतिविधि या हथियारों की गैरकानूनी बिक्री की सूचना पुलिस हेल्पलाइन 100/112 पर दें।
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राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी हेल्पलाइन (1800-11-0031) पर भी ऐसी जानकारी साझा की जा सकती है।
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किसी भी अनजाने स्रोत से हथियार खरीदने या ऑफर स्वीकार करने से बचें।
 
आधिकारिक अपील
गृह मंत्रालय और राज्यों की पुलिस समय-समय पर अपील करती रही है कि नागरिक सतर्क रहें और ऐसी सूचनाओं को छुपाने की बजाय रिपोर्ट करें। जांच एजेंसियों का मानना है कि जनता का सहयोग ही इस तरह की तस्करी के खिलाफ सबसे बड़ी ताकत बन सकता है।
Zigana जैसे विदेशी ब्रांड हथियारों की तस्करी भारत में केवल कानून-व्यवस्था का ही नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी बड़ा खतरा है। Arms Act जैसे सख्त कानून और सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के बावजूद अपराधी नेटवर्क नई चालें चलते रहते हैं। ऐसे में नागरिकों की सतर्कता और जिम्मेदारी इस अवैध व्यापार को रोकने की कुंजी है।

		
		
		
		
		
		
		
		
		






