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कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हाल ही में दिए गए “वोट चोरी” बयान ने बिहार की राजनीति में नई हलचल मचा दी है। राहुल ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए सत्तारूढ़ दल वोट चोरी जैसी रणनीतियों का सहारा ले रहा है। उनका यह आरोप न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
बिहार की राजनीति पहले से ही जातीय समीकरणों और गठबंधन की रणनीतियों पर आधारित रही है। राहुल गांधी का यह बयान यहां विपक्षी दलों के लिए एक नया नैरेटिव बन सकता है।
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कांग्रेस और आरजेडी (राजद) गठबंधन पहले ही चुनावी तैयारी में जुट चुका है।
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राहुल के आरोपों से विपक्ष को यह मौका मिल सकता है कि वे मतदाताओं के बीच लोकतंत्र बचाने का संदेश दें।
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भाजपा और जदयू ने राहुल गांधी के आरोपों को “बेहूदगी” और “जनादेश का अपमान” बताते हुए खारिज कर दिया है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव इस समय बिहार विपक्ष का चेहरा हैं।
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राहुल गांधी का “वोट चोरी” बयान उन्हें अपने अभियान में एक मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का मौका देगा।
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तेजस्वी अपने भाषणों में पहले से ही बेरोजगारी, शिक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं।
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अब लोकतंत्र और वोट की रक्षा को लेकर राहुल का नैरेटिव, उनके अभियान में नई धार जोड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव इसे युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों के बीच भरोसे और पारदर्शिता के मुद्दे से जोड़ सकते हैं।
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कांग्रेस बिहार में आरजेडी की सहयोगी पार्टी के रूप में काम कर रही है।
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राहुल गांधी के बयान के बाद गठबंधन अब “जनादेश की चोरी” को एक मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने पर विचार कर सकता है।
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इससे विपक्षी पार्टियां मतदाताओं को यह संदेश देना चाहेंगी कि लोकतंत्र और संविधान पर खतरा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे गठबंधन को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में राजनीतिक आधार मजबूत करने का मौका मिल सकता है।
भाजपा और जदयू ने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
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भाजपा नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार जनता के फैसले पर सवाल उठाकर लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं।
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वहीं जदयू प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार की जनता बार-बार विपक्ष को नकार चुकी है और अब उनके पास आरोपों के सिवा कोई मुद्दा नहीं बचा।
सोशल मीडिया और पब्लिक डिबेट में राहुल गांधी के “वोट चोरी” बयान को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
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युवा मतदाताओं का कहना है कि अगर विपक्ष इस मुद्दे को सही तरह से उठाए तो यह लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी होगा।
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वहीं सत्तारूढ़ दल के समर्थक इसे सिर्फ “राजनीतिक हताशा” बता रहे हैं।
राहुल गांधी का “वोट चोरी” बयान बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर चुका है।
कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के लिए यह एक नया चुनावी नैरेटिव बन सकता है, जिसे तेजस्वी यादव अपने अभियानों में पूरी ताकत से इस्तेमाल कर सकते हैं।
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मुद्दा बिहार के मतदाताओं को प्रभावित करता है या फिर सत्तारूढ़ दल इसे महज आरोप बताकर खारिज करने में सफल रहता है।








