




भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के इतर आयोजित BRICS मंत्रिस्तरीय बैठक में टैरिफ अस्थिरता और अमेरिका की हालिया नीतियों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक व्यापारिक माहौल में BRICS जैसे मंचों को बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों पर 50% तक का आयात शुल्क लगा दिया है, और इसमें 25% अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है, जिसे भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने के जवाब में लगाया गया है।
अमेरिका का कहना है कि यह टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति के मद्देनज़र है, लेकिन भारत ने इसे व्यापार में राजनीति का घालमेल बताया है।
जयशंकर ने कहा:
“आज जब वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अनिश्चितता, प्रतिबंधात्मक नीतियां और टैरिफ युद्ध तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे समय में BRICS देशों को चाहिए कि वे व्यापार को राजनीतिक औजार न बनने दें और मिलकर नियम-आधारित बहुपक्षीय प्रणाली की रक्षा करें।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि विकासशील देशों के हितों को संरक्षित करना अब केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
भारत को इस वक्त दोहरी मार झेलनी पड़ रही है — एक ओर अमेरिका की टैरिफ नीति, दूसरी ओर तेल, कृषि और औद्योगिक उत्पादों पर आयात प्रतिबंधों का सीधा असर।
जयशंकर ने चेताया कि ऐसी अस्थिरता न सिर्फ व्यापार को प्रभावित करती है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला (Global Supply Chain) और निवेशकों के विश्वास को भी डगमगाती है।
विदेश मंत्री ने अमेरिकी विदेश मंत्री से भी मुलाकात की, जहाँ उन्होंने भारत के खिलाफ लगाए गए टैरिफ को “अनुचित और एकतरफा” करार दिया।
भारत ने यह स्पष्ट किया कि:
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वह रूसी तेल की खरीद को अपनी ऊर्जा सुरक्षा नीति का हिस्सा मानता है।
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भारत संप्रभु निर्णयों में बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा।
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बहुपक्षीय मंचों पर भारत स्वतंत्र और नीतिपरक रुख बनाए रखेगा।
बैठक के बाद दिए गए बयान में BRICS देशों ने वैश्विक व्यापार में बढ़ते ‘प्रतिबंधात्मक उपायों’ (Trade-restrictive actions) पर चिंता जताई और इसे ‘Supply Chain की स्थिरता के लिए खतरा’ बताया।
भारत ने प्रस्ताव रखा कि BRICS को:
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सामूहिक व्यापार नीति तैयार करनी चाहिए,
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वैश्विक मंचों पर संयुक्त रूप से बात रखनी चाहिए,
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और टैरिफ आधारित राजनयिक दबाव के खिलाफ एक सुर में आवाज उठानी चाहिए।
जयशंकर ने संकेत दिया कि भारत अब “टैरिफ युद्ध” से नहीं घबराएगा।
भारत की रणनीति होगी:
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नवीन बाज़ारों की तलाश,
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स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना,
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रक्षा, फार्मा, ऊर्जा और डिजिटल सेक्टर में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देना।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ‘Global South’ की आवाज बनेगा और विकासशील देशों के लिए नई व्यापार संरचना का मॉडल प्रस्तुत करेगा।
जयशंकर का यह बयान सिर्फ अमेरिका को जवाब नहीं था, बल्कि पूरी दुनिया को संदेश था — कि भारत अब मूकदर्शक नहीं, बल्कि एक निर्णायक, स्पष्ट और बहुपक्षीय व्यवस्था का समर्थक देश बन चुका है।
BRICS की बैठक में उठी आवाज़ें इस बात की पुष्टि करती हैं कि टैरिफ के नाम पर दबाव की राजनीति अब लंबे समय तक नहीं चल पाएगी।
भारत, जो अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्तंभ बनकर उभर रहा है, वह वैश्विक व्यापार व्यवस्था की पारदर्शिता और स्थिरता को लेकर सजग है — और उसी दिशा में काम भी कर रहा है।