




उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा के बाद प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। इस बवाल को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख़्त लहजे में बयान देते हुए कहा कि, “मौलाना भूल गया कि राज्य में सत्ता किसके हाथ में है। हमने ऐसा सबक सिखाया है कि वो याद रखेगा।”
सीएम योगी का यह बयान उस समय आया है जब मौलाना तौकीर रज़ा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोगों ने नमाज़ के बाद प्रदर्शन किया, जिसमें कुछ जगहों पर पुलिस से झड़प और पथराव की घटनाएँ भी हुईं।
मुख्यमंत्री ने साफ़ किया कि राज्य सरकार दंगा, उपद्रव या अराजकता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी। जो लोग धार्मिक आस्था की आड़ में कानून हाथ में लेने की कोशिश कर रहे हैं, उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा।
शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद बड़ी संख्या में लोग बरेली की सड़कों पर उतर आए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलाना तौकीर रज़ा के समर्थकों ने कुछ धार्मिक मुद्दों पर विरोध दर्ज कराने के लिए रैली निकाली। इसी दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हो गया।
स्थानीय प्रशासन ने तुरंत भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर हालात पर काबू पाया। हालांकि इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर माहौल गरम हो गया और दोनों पक्षों से बयानबाजी तेज़ हो गई।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा,
“कुछ मौलानाओं को यह गलतफहमी हो गई है कि वे सड़कों पर उतरकर कानून को चुनौती देंगे और हम चुप रहेंगे। ये 2012 या 2016 नहीं है। यह 2025 का उत्तर प्रदेश है, जहां अब दंगाइयों की नहीं, शासन की चलती है।”
सीएम ने यह भी कहा कि जो भी लोग इस पूरे षड्यंत्र में शामिल हैं, उन पर NSA और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। संपत्तियों की जब्ती और नुकसान की भरपाई के आदेश भी दिए जा सकते हैं।
इस पूरे प्रकरण पर मौलाना तौकीर रज़ा ने कहा है कि वे शांति बनाए रखने की अपील कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने बल प्रयोग करके स्थिति को खराब किया। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी बात को सुनने के बजाय, उन्हें निशाना बना रही है।
हालांकि, मौलाना के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है और वीडियो फुटेज के आधार पर उनकी भूमिका की जांच की जा रही है।
बरेली में फिलहाल धारा 144 लागू कर दी गई है और इंटरनेट सेवाओं पर भी अस्थायी रोक लगाई गई है। पुलिस महानिदेशक ने ज़िले के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रकार की पुनरावृत्ति न हो।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से निर्देश है कि ऐसे मामलों में “Zero Tolerance Policy” अपनाई जाए और कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना ही प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।
सीएम योगी के इस तीखे बयान पर विपक्ष ने भी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी और AIMIM ने योगी सरकार पर “धार्मिक ध्रुवीकरण” का आरोप लगाया और कहा कि बयानबाज़ी से ज़्यादा ज़रूरत है संवाद और समावेशी प्रशासन की।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि,
“मुख्यमंत्री को लोकतांत्रिक भाषा में बोलना चाहिए। सरकार को धर्मगुरुओं से टकराव नहीं, संवाद की कोशिश करनी चाहिए।”
इस मुद्दे पर आम जनता की राय भी बंटी हुई है। कुछ लोग सीएम योगी के सख्त रुख को “लॉ एंड ऑर्डर” बनाए रखने के लिए सही ठहराते हैं, तो कुछ इसे “मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने वाला रवैया” बताते हैं।
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2027 विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में इस प्रकार की बयानबाज़ी ज़मीन तैयार कर सकती है।
बरेली में जुमे की नमाज़ के बाद हुआ बवाल और उस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश सरकार कानून व्यवस्था के मामले में कोई ढील नहीं देना चाहती।
हालांकि, यह मामला केवल कानून-व्यवस्था का नहीं, बल्कि राज्य के सामाजिक ताने-बाने, धर्मगुरुओं की भूमिका और राजनीतिक संवाद की दिशा पर भी गहरा असर डालता है।
अब देखना यह होगा कि सरकार की “सख़्त नीति” क्या राज्य में स्थायित्व लाएगी या इससे और टकराव की स्थिति बनेगी।