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    मुरैना का 64 योगिनी मंदिर: गोलाकार वास्तुकला और शिवलिंगों का अद्वितीय संगम, दिल्ली की संसद को भी दी प्रेरणा

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    मुरैना जिले के मितावली में स्थित 64 योगिनी मंदिर भारतीय वास्तुकला और अध्यात्म का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह मंदिर न केवल अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी गोलाकार संरचना और 64 शिवलिंगों की अनोखी व्यवस्था इसे भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। 1323 ईस्वी में निर्मित इस मंदिर की भव्यता और वास्तुशिल्प कौशल ने न केवल क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा दिया है, बल्कि कहा जाता है कि दिल्ली के संसद भवन की डिजाइन में भी इस मंदिर से प्रेरणा ली गई थी।

    64 योगिनी मंदिर की वास्तुकला और संरचना
    मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी गोलाकार संरचना है। यह गोलाकार मंदिर पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे प्राकृतिक परिदृश्य के साथ अद्भुत सामंजस्य प्रदान करता है। मंदिर के अंदर कुल 64 शिवलिंग स्थापित हैं, जो इसे योगिनी पूजा और शक्ति उपासना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं। प्रत्येक शिवलिंग को विशेष ध्यान और नियमों के अनुसार स्थापित किया गया है, जिससे यह मंदिर अध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

    मंदिर की भव्य और जटिल वास्तुकला दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। गोलाकार संरचना न केवल सौंदर्यपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और खगोलीय मान्यताओं के अनुरूप भी डिजाइन की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर की यह अद्वितीय आकृति भारतीय मंदिर निर्माण कला में एक विशेष स्थान रखती है और यह वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।

    इतिहास और धार्मिक महत्व
    64 योगिनी मंदिर का निर्माण 1323 ईस्वी में हुआ था। यह मंदिर विशेष रूप से योगिनी संप्रदाय के अनुयायियों के लिए पूजा स्थल के रूप में स्थापित किया गया था। योगिनी पूजा शक्ति और ध्यान की परंपरा से जुड़ी है, और इस मंदिर में शिवलिंगों के माध्यम से साधना करने की परंपरा आज भी जीवित है।

    स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर न केवल धार्मिक क्रियाओं का केंद्र रहा है, बल्कि शिक्षा और ध्यान का स्थल भी रहा है। भक्तगण और साधु यहां ध्यान और तपस्या के लिए आते रहे हैं।

    दिल्ली संसद भवन को मिली प्रेरणा
    विशेषज्ञों और इतिहासकारों के अनुसार, 64 योगिनी मंदिर की गोलाकार वास्तुकला ने दिल्ली के संसद भवन के डिजाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गोलाकार संरचना और मंदिर की केंद्रीय योजना को देखकर आधुनिक वास्तुकारों ने इसे संसद भवन के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत माना। यह उदाहरण भारतीय प्राचीन वास्तुकला और आधुनिक शहरी संरचना के बीच के अद्भुत सामंजस्य को दर्शाता है।

    पर्यटन और विश्व पर्यटन दिवस
    विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर 64 योगिनी मंदिर एक विशेष आकर्षण बन जाता है। देशभर से और विदेशों से पर्यटक इस ऐतिहासिक स्थल का दौरा करते हैं। मंदिर की पहाड़ी पर स्थित भव्यता और प्राकृतिक सौंदर्य इसे फोटो लेने और अध्ययन के लिए भी उपयुक्त बनाते हैं। पर्यटक यहां न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं, बल्कि भारतीय प्राचीन वास्तुकला और इतिहास को करीब से जानने का मौका भी पाते हैं।

    मुरैना प्रशासन और पर्यटन विभाग इस मंदिर को संरक्षित करने और पर्यटकों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने में लगातार प्रयास कर रहे हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग और मार्गदर्शक संकेतस्थल बनाए गए हैं, जिससे पर्यटक आसानी से इस अद्वितीय स्थल का भ्रमण कर सकते हैं।मुरैना का 64 योगिनी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, वास्तुकला और इतिहास का प्रतीक है। गोलाकार मंदिर और 64 शिवलिंगों का संयोजन इसे अद्वितीय बनाता है। दिल्ली के संसद भवन में इसका प्रभाव यह दर्शाता है कि प्राचीन भारतीय वास्तुकला आज भी आधुनिक संरचनाओं को प्रेरित कर रही है। विश्व पर्यटन दिवस पर इस मंदिर का दौरा करना न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि भारतीय इतिहास और कला की गहन समझ भी देता है।

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