




कन्नड़ सिनेमा की ब्लॉकबस्टर फिल्म कांतारा ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की थी। लोककथाओं, संस्कृति और पौराणिक मान्यताओं से प्रेरित इस फिल्म ने दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया। हालांकि, फिल्म के मुख्य किरदार शिवा को लेकर शुरू से ही विवाद खड़ा रहा।
कई दर्शकों और आलोचकों का मानना था कि फिल्म में शिवा को गलत तरीके से पेश किया गया है। फिल्म में उसकी भाषा और व्यवहार को लेकर सवाल उठे। इस पर अब खुद फिल्म के निर्देशक और अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने चुप्पी तोड़ते हुए बड़ा बयान दिया है।
ऋषभ शेट्टी का बयान: ‘शिवा विलन था, हीरो नहीं’
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान ऋषभ शेट्टी ने कहा कि फिल्म में शिवा का किरदार एक खलनायक के रूप में दिखाया गया था। उन्होंने साफ किया:
“शिवा कोई नायक नहीं था। वह बुरी आदतों वाला इंसान था। उसकी भाषा भी खराब थी। हमने जानबूझकर इस किरदार को इसी तरह से गढ़ा ताकि लोग समझ सकें कि अच्छाई और बुराई का फर्क क्या है।”
ऋषभ शेट्टी के इस बयान ने फिल्म की रिलीज के लगभग दो साल बाद फिर से बहस छेड़ दी है।
क्यों हुआ था विरोध?
जब कांतारा रिलीज हुई थी, तब कई धार्मिक संगठनों और दर्शकों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि फिल्म में शिवा को एक गैर-जिम्मेदार, शराब पीने वाला और बुरी आदतों वाला इंसान दिखाना अनुचित है।
लोगों का मानना था कि पौराणिक कथाओं से प्रेरित फिल्म में मुख्य किरदार को आदर्श रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। लेकिन फिल्म में शिवा की भाषा, हरकतें और आदतें हीरो से ज्यादा विलन जैसी थीं।
निर्देशक की सोच: किरदार का यथार्थवादी चित्रण
ऋषभ शेट्टी का कहना है कि उन्होंने शिवा को ऐसे ही दिखाने का फैसला इसलिए किया ताकि समाज में मौजूद वास्तविकताओं को सामने लाया जा सके।
उन्होंने कहा कि शिवा का किरदार गांव के उस युवा का प्रतीक है, जो गलत आदतों में फंसकर अपनी जिंदगी बिगाड़ रहा है। लेकिन फिल्म के क्लाइमेक्स में जब देवत्व और परंपरा का आह्वान होता है, तो वही किरदार अपने भीतर से एक नई ताकत पाता है।
इस तरह, शिवा की यात्रा एक अवधारणा से वास्तविकता और फिर आध्यात्मिक परिवर्तन की कहानी है।
फिल्म की सफलता और विवादों का संगम
कांतारा बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी। फिल्म ने भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी शानदार कमाई की। इसकी सफलता का सबसे बड़ा कारण इसका लोककथा-आधारित विषय और दर्शकों से जुड़ा सांस्कृतिक जुड़ाव था।
लेकिन इसके साथ ही शिवा के किरदार को लेकर दो धाराएं बनीं:
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एक धड़ा मानता है कि शिवा फिल्म का हीरो था जिसने परंपरा और संस्कृति की रक्षा की।
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दूसरा धड़ा इसे नकारते हुए कहता है कि शिवा असल में खलनायक था, जिसकी बुरी आदतों ने समाज को गलत संदेश दिया।
आलोचकों की राय
फिल्म समीक्षकों का मानना है कि ऋषभ शेट्टी का यह बयान फिल्म के मूल संदेश को और स्पष्ट करता है। समीक्षक कहते हैं कि हर किरदार हीरो नहीं हो सकता। कभी-कभी कहानी को प्रभावशाली बनाने के लिए एंटी-हीरो का उपयोग किया जाता है।
शिवा भी ऐसा ही एक एंटी-हीरो था, जो अपनी कमजोरियों और गलतियों के बावजूद अंत में दिव्य शक्ति का माध्यम बनकर समाज की रक्षा करता है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
ऋषभ शेट्टी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई लोग उनकी बात से सहमत हैं और मानते हैं कि फिल्म में शिवा को गलत आदतों वाला इंसान दिखाना ही असल संदेश था।
वहीं, कुछ लोग अब भी इस बात से असहमत हैं और कहते हैं कि निर्देशक को ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक किरदार को नकारात्मक रूप में पेश नहीं करना चाहिए था।
क्या कहती है कन्नड़ इंडस्ट्री?
कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में भी इस बयान पर चर्चा हो रही है। कुछ फिल्मकार मानते हैं कि ऋषभ शेट्टी ने बेहद साहसी कदम उठाया है और अपने किरदार को लेकर ईमानदारी दिखाई है। वहीं, कुछ का मानना है कि ऐसे बयान से अनावश्यक विवाद फिर से खड़ा हो सकता है।
कन्नड़ फिल्म कांतारा के शिवा को लेकर शुरू हुआ विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। ऋषभ शेट्टी का यह कहना कि “शिवा नायक नहीं, बल्कि खलनायक था” फिल्म की व्याख्या को नए नजरिए से देखने पर मजबूर करता है।