




महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार का नाम एक सशक्त और प्रभावशाली पहचान रखता है। खासकर बारामती सीट, जिसे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गढ़ माना जाता है। इसी बारामती में हाल ही में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
अजित पवार ने खुले मंच से कहा— “साहेब के काम करने का तरीका बेजोड़ है।” उनका यह बयान न सिर्फ भीड़ को प्रभावित कर गया बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया।
आलोचना से तारीफ तक का सफर
यह वही अजित पवार हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने चाचा शरद पवार की कड़ी आलोचना की थी। उस समय उन्होंने कई बार शरद पवार के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे।
लेकिन उस आलोचना का उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा। बारामती लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा और पवार परिवार के अंदर खींचतान ने नई बहस को जन्म दिया।
अब वही अजित पवार जब बारामती में शरद पवार की तारीफ करते हैं तो यह साफ इशारा है कि उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से सबक ले लिया है और अब अपने बयानों में काफी सोच-समझकर बोलते हैं।
बारामती: पवार परिवार की राजनीति का केंद्र
बारामती को पवार राजनीति का केंद्र कहा जाता है। दशकों से यह सीट पवार परिवार के कब्जे में रही है। शरद पवार के करिश्माई नेतृत्व ने यहां की राजनीति को हमेशा दिशा दी है।
हालांकि हालिया वर्षों में परिवार के भीतर खींचतान और एनसीपी में बंटवारे के बाद हालात बदल गए। अजित पवार और शरद पवार के बीच दूरी साफ नजर आने लगी थी। लेकिन अब बारामती में उनकी प्रशंसा करते हुए अजित पवार का यह रुख पवार परिवार की राजनीतिक बिसात में नए संकेत देता है।
राजनीतिक संदेश और समीकरण
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अजित पवार का यह बयान सिर्फ भावुकता नहीं बल्कि रणनीति का हिस्सा भी है।
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एक तरफ उन्हें बारामती में अपनी पकड़ मजबूत करनी है।
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दूसरी तरफ वे यह भी जानते हैं कि शरद पवार की लोकप्रियता आज भी किसानों और ग्रामीण वोटरों के बीच अटूट है।
इसलिए शरद पवार की सार्वजनिक तारीफ करके वे उन समर्थकों को साधने की कोशिश कर रहे हैं, जो अब भी वरिष्ठ पवार के साथ खड़े हैं।
शरद पवार की छवि और अजित पवार की चुनौती
शरद पवार की पहचान एक रणनीतिकार, जननेता और संगठन निर्माता के रूप में रही है। उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा अपनी अलग छाप छोड़ी है।
इसके मुकाबले अजित पवार की छवि एक सख्त प्रशासक और तेजतर्रार नेता की रही है, लेकिन कभी-कभी उनके बयानों ने उन्हें नुकसान भी पहुंचाया है।
लोकसभा चुनाव में शरद पवार पर हमले की रणनीति ने उल्टा असर डाला और नतीजतन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। यही कारण है कि अब वे अपने शब्दों को लेकर सावधान हो गए हैं और सकारात्मक रुख अपनाते दिख रहे हैं।
पवार परिवार की अंदरूनी राजनीति
एनसीपी में बंटवारे के बाद से पवार परिवार में दरारें सामने आई थीं। शरद पवार ने पार्टी का असली धड़ा अपने पास रखा जबकि अजित पवार ने सत्ता में भागीदारी के लिए महायुति सरकार का साथ दिया।
हालांकि परिवार के भीतर रिश्तों को लेकर हमेशा यही संदेश देने की कोशिश की जाती है कि “राजनीति अपनी जगह है और रिश्ते अपनी जगह।”
अजित पवार का हालिया बयान इस बात को भी दर्शाता है कि वे पारिवारिक सम्मान और राजनीतिक भविष्य—दोनों को संतुलित रखना चाहते हैं।
जनता के बीच संदेश
अजित पवार का यह वक्तव्य बारामती की जनता के बीच भी खासा असर डाल रहा है। जहां एक तरफ यह बयान उनके चाचा के लिए सम्मान का प्रतीक है, वहीं दूसरी तरफ यह जनता को यह संदेश भी देता है कि पवार परिवार की जड़ें अब भी मजबूत हैं और उनमें मतभेद चाहे हों, लेकिन सम्मान हमेशा बरकरार है।
अजित पवार का “साहेब के काम करने का तरीका बेजोड़” वाला बयान एक साधारण तारीफ नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
लोकसभा चुनाव में की गई आलोचना से सबक लेते हुए अब वे न केवल सावधानी से बोल रहे हैं बल्कि अपने चाचा की लोकप्रियता का लाभ उठाने की कोशिश भी कर रहे हैं।