




हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इनमें से अष्टमी तिथि मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन मां महागौरी की पूजा करने से भक्तों को अपार सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कौन हैं मां महागौरी?
मां महागौरी, भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं। पुराणों के अनुसार जब मां पार्वती ने कठोर तपस्या करके शिव को पति रूप में प्राप्त किया, तो उनका शरीर काला और कृशकाय हो गया। भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, जिसके बाद उनका शरीर अत्यंत गौरवर्ण और दिव्य हो गया। इसी कारण उन्हें “महागौरी” कहा गया।
मां महागौरी का वाहन बैल है, उनके हाथ में त्रिशूल और डमरू सुशोभित रहते हैं। उनका स्वरूप सौम्य और शांति प्रदान करने वाला है।
नवरात्रि अष्टमी का महत्व
अष्टमी तिथि को कई स्थानों पर कन्या पूजन और हवन का आयोजन किया जाता है। इस दिन मां महागौरी की कृपा से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और विवाह, संतान सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
भक्तों का मानना है कि मां महागौरी की पूजा करने से मन की अशुद्धियाँ मिट जाती हैं और आत्मा पवित्र होती है।
अष्टमी पूजा विधि
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सबसे पहले सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
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पूजा स्थान को स्वच्छ करके मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
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मां को गंगाजल से स्नान कराएँ और फिर फूल, अक्षत, रोली, चंदन और वस्त्र अर्पित करें।
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धूप-दीप जलाकर मां की आराधना करें।
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अष्टमी के दिन नौ कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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पूजा के अंत में आरती और मंत्र जाप करें।
मां महागौरी के मंत्र
मां महागौरी को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करें –
“ॐ देवी महागौर्यै नमः॥”
या फिर इस श्लोक का पाठ भी अत्यंत शुभ माना जाता है –
“श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुभा।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥”
मां महागौरी का प्रिय भोग
मां महागौरी को नारियल, गुड़, हलवा और सफेद रंग की मिठाई (जैसे रसगुल्ला, दूध से बनी मिठाइयाँ) चढ़ाना शुभ माना जाता है।
कई भक्त इस दिन खीर का भोग लगाकर मां को प्रसन्न करते हैं।
कन्या पूजन का महत्व
अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करना अति आवश्यक माना गया है। इसमें 2 से 10 वर्ष की कन्याओं और एक लांगुरे (बालक) को भोजन कराकर, उन्हें वस्त्र और दक्षिणा देकर विदा करना पुण्यदायी होता है। यह विधि मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पूरक मानी जाती है।
अष्टमी की आरती
पूजा के अंत में मां महागौरी की आरती करें –
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥
आरती के बाद भक्त अपनी मनोकामना व्यक्त करते हैं।
आध्यात्मिक लाभ
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मां महागौरी की पूजा से मन की शुद्धि और आत्मबल बढ़ता है।
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विवाह और संतान संबंधी बाधाओं का निवारण होता है।
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जीवन में धन-समृद्धि और सुख-शांति आती है।
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मानसिक तनाव और परेशानियाँ दूर होती हैं।
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का अत्यंत महत्व है। उचित विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को जीवन में शांति, सुख और सफलता की प्राप्ति होती है। मां महागौरी का स्वरूप सौम्यता और दिव्यता का प्रतीक है, जो भक्तों को सकारात्मकता और शक्ति प्रदान करता है।
अष्टमी तिथि का यह पर्व भक्तों के लिए विशेष अवसर है, जब वे मां महागौरी के चरणों में समर्पित होकर अपने जीवन को संपूर्णता और आध्यात्मिकता से भर सकते हैं।