




स्वदेशी ऐप Arattai आज पूरे भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस ऐप को बनाया है भारतीय कंपनी Zoho Corporation ने, और इसके पीछे हैं एक अत्यंत प्रेरणादायक शख्सियत — श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu)। एक ऐसा व्यक्ति जिन्होंने अमेरिका की उच्च तकनीकी दुनिया छोड़कर भारत के एक छोटे से गांव में रहना चुना, और वहीं से देश को आत्मनिर्भर बनाने की राह पर निकल पड़े।
“Arattai” एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ होता है – “मस्ती भरी बातचीत”। Zoho द्वारा विकसित यह ऐप पूरी तरह से मेड इन इंडिया है और इसका उद्देश्य है — भारत को एक सुरक्षित, तेज़ और निजी चैटिंग ऐप देना जो WhatsApp और Telegram जैसे विदेशी ऐप्स को टक्कर दे सके।
इस ऐप में एक से एक चैट, ग्रुप चैट, वॉयस और वीडियो कॉल, मीडिया शेयरिंग जैसे फीचर्स हैं। Zoho ने इसे खासतौर पर भारतीय यूज़र्स की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया है — जैसे कि कम नेटवर्क में भी स्मूद काम करना, डाटा सिक्योरिटी और हल्के इंटरफेस।
हाल ही में, इस ऐप को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त क्रेज देखने को मिला है। लाखों लोग हर दिन इसे डाउनलोड कर रहे हैं और “स्वदेशी चैट ऐप” के रूप में इसे अपनाने लगे हैं।
श्रीधर वेम्बू Zoho Corporation के सह-संस्थापक हैं। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास से पढ़े हैं और फिर अमेरिका की प्रसिद्ध प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। उन्होंने अमेरिका में टेक्नोलॉजी सेक्टर में शानदार करियर शुरू किया था।
लेकिन, 2000 के दशक के मध्य में उन्होंने फैसला किया कि वे भारत लौटेंगे — और सिर्फ लौटे नहीं, बल्कि उन्होंने शहरों में नहीं बल्कि तमिलनाडु के तेनकासी जिले के एक छोटे से गांव में आकर बसने का निर्णय लिया।
उनका मानना है कि “प्रौद्योगिकी सिर्फ शहरों की चीज़ नहीं है, इसे गांवों में लाना ही असली क्रांति होगी।” वेम्बू आज भी उसी गांव में रहते हैं, साइकिल चलाकर ऑफिस जाते हैं और ग्रामीण युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं।
Zoho Corporation की शुरुआत एक छोटे से कमरे में हुई थी। बिना किसी वेंचर कैपिटल फंडिंग के, पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड कंपनी के रूप में Zoho ने अपने सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स तैयार किए — जैसे कि CRM, मेल, फाइनेंस टूल्स, ऑफिस सुइट्स आदि।
आज, Zoho के 80 मिलियन से अधिक यूज़र्स हैं और यह कंपनी 190+ देशों में सेवाएं देती है। और यह सब श्रीधर वेम्बू की दूरदर्शिता और आत्मनिर्भर सोच का नतीजा है।
2025 में Arattai को फिर से पूरी ताकत के साथ लॉन्च किया गया। कुछ ही दिनों में इसमें 100x ट्रैफिक वृद्धि दर्ज की गई। Zoho को अपने सर्वर इन्फ्रास्ट्रक्चर को तेज़ी से अपग्रेड करना पड़ा। श्रीधर वेम्बू ने खुद ट्वीट कर बताया कि उनकी टीम लगातार काम कर रही है ताकि सर्वर डाउन न हो।
हालांकि, चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। डेटा सिक्योरिटी, चैट एन्क्रिप्शन, यूज़र इंटरफेस और फीचर इन्नोवेशन — हर मोर्चे पर Arattai को लगातार अपडेट होना होगा।
आज जब अधिकांश टेक एंटरप्रेन्योर अमेरिका या बेंगलुरु जैसे शहरों में रहते हैं, श्रीधर वेम्बू तमिलनाडु के एक दूरदराज़ गांव में बसे हुए हैं। वे स्थानीय स्कूलों को तकनीकी सपोर्ट देते हैं, बच्चों को मुफ्त शिक्षा और ट्रेनिंग प्रदान करते हैं।
उनका मानना है कि भारत तभी विकसित हो सकता है, जब गांवों में तकनीक पहुंचे और वही से स्टार्टअप्स खड़े हों।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी Arattai ऐप को समर्थन दिया और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया। इससे ऐप को एक बड़ा प्रमोशनल बूस्ट मिला और “मेक इन इंडिया डिजिटल ऐप्स” को एक नया चेहरा मिला।
Arattai सिर्फ एक चैटिंग ऐप नहीं है — यह उस सोच का प्रतीक है जिसमें भारत तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। श्रीधर वेम्बू की जीवनशैली, नेतृत्व और दृष्टिकोण यह बताता है कि बदलाव केवल सरकारों से नहीं, व्यक्तियों के साहसिक फैसलों से आता है।
उनकी कहानी युवा भारत के लिए प्रेरणा है कि सपने सिर्फ अमेज़न या गूगल जैसी कंपनियों में नौकरी पाने के नहीं होने चाहिए — बल्कि खुद ऐसा कुछ बनाने के भी होने चाहिए जो पूरी दुनिया को गौरव से भर दे।