




राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद, केरल विधानसभा में बड़ा राजनीतिक बवाल मच गया। विपक्षी दलों ने LDF सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए विधानसभा से बहिष्कार का ऐलान किया है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने इस गंभीर घटना को नजरअंदाज किया और उचित सुरक्षा इंतजाम नहीं किए। विपक्ष ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बीजेपी के प्रवक्ता द्वारा लाइव टीवी पर की गई धमकी के बावजूद, राज्य सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
राहुल गांधी को 30 सितंबर 2025 को एक बीजेपी प्रवक्ता द्वारा जान से मारने की धमकी दी गई थी। यह धमकी एक लाइव टेलीविज़न प्रोग्राम के दौरान दी गई थी, जिसमें प्रवक्ता ने राहुल गांधी के खिलाफ अपमानजनक और हिंसक टिप्पणी की थी। धमकी के बाद कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने पुलिस से तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, अब तक आरोपी बीजेपी प्रवक्ता के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
राहुल गांधी ने इस धमकी को गंभीरता से लिया और कहा कि यह केवल उनका व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने कहा, “यह घटना देश में एक खतरनाक प्रवृत्ति को उजागर करती है, जिसमें राजनीतिक नेताओं को खुलेआम धमकी दी जा रही है। यह स्थिति हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए खतरे का संकेत है।”
राहुल गांधी को मिली धमकी के बाद, विपक्षी दलों ने केरल विधानसभा से बहिष्कार का निर्णय लिया। यूडीएफ (UDF) के सदस्य ने विधानसभा में कार्यवाही का विरोध किया और स्पीकर से सत्र स्थगित करने की मांग की, लेकिन स्पीकर ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने BJP प्रवक्ता के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और इस गंभीर घटना को नज़रअंदाज़ किया।
यूडीएफ के नेता ने कहा, “जब एक विपक्षी नेता को जान से मारने की धमकी दी जाती है, तो यह केवल उस नेता के लिए नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। राज्य सरकार की नज़रअंदाज़ी ने साबित कर दिया कि उन्हें ऐसे मामलों की गंभीरता का एहसास नहीं है।”
विपक्षी नेताओं ने इस पर भी कड़ी आपत्ति जताई कि स्पीकर ने बहस के लिए उनके नोटिस को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार खुद इस मामले को हल्के में ले रही है, तो विधानसभा का बहिष्कार एक मजबूरी थी।
LDF सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे इस धमकी को गंभीरता से ले रहे हैं और पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, “हम राहुल गांधी को मिली धमकी को पूरी गंभीरता से ले रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाए।”
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि BJP प्रवक्ता के खिलाफ जल्द ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राज्य पुलिस का कहना है कि वे इस मामले की जांच में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और आरोपी की पहचान करने के प्रयास जारी हैं।
राहुल गांधी को धमकी मिलने के बाद, यह घटना केवल केरल नहीं, बल्कि पूरे देश में राजनीतिक हलचल पैदा कर गई है। विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए इसकी निंदा की है। वहीं, बीजेपी ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधी है और किसी प्रकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
विपक्षी नेताओं ने इस मामले में सरकार की नाकामी की आलोचना करते हुए कहा कि जब बीजेपी प्रवक्ता द्वारा ऐसी धमकी दी जाती है, तो सरकार को तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन LDF सरकार ने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकामी दिखाई है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “हम चाहते हैं कि इस मामले में कोई राजनीति न हो, लेकिन जब राज्य सरकार इस मामले को हल्के में लेती है, तो हमें विरोध करना पड़ता है। यह लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक स्थिति है, और हम सरकार से इसे गंभीरता से लेने की मांग करते हैं।”
राहुल गांधी को मिली धमकी के बाद, सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। खासकर उस समय जब देश में नेताओं को खतरे का सामना करना पड़ रहा है, सरकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे उचित सुरक्षा इंतजाम करें।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि सुरक्षा इंतजामों में सुधार की आवश्यकता है। विश्लेषक कहते हैं, “यह स्थिति केवल राहुल गांधी तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी नेताओं की सुरक्षा को लेकर सरकार को और अधिक सतर्क होना चाहिए।”
राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी और उसके बाद के घटनाक्रम ने यह सिद्ध कर दिया है कि राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ होने वाली धमकियों पर तुरंत कार्रवाई जरूरी है। विपक्षी दलों द्वारा विधानसभा से बहिष्कार और सरकार की निंदा ने इस घटना को और अधिक तूल दिया है। अब यह देखना होगा कि केरल सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या विपक्षी दलों की चिंताओं का समाधान करती है।
यह मामला न केवल राहुल गांधी और उनके समर्थकों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि नेताओं के खिलाफ इस तरह की धमकियों को गंभीरता से लिया जाए और उन पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए। केरल सरकार को अपनी नीतियों में सुधार करते हुए इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि लोकतंत्र और सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा की जा सके।