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    लंदन में महात्मा गांधी की प्रतिमा से की गई तोड़फोड़, भारतीय मिशन ने की कड़ी निंदा

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    लंदन में स्थित महात्मा गांधी की ऐतिहासिक प्रतिमा को लेकर एक गंभीर और दुखद घटना सामने आई है। पार्लियामेंट स्क्वायर में स्थापित इस वैश्विक शांति और अहिंसा के प्रतीक की प्रतिमा को कुछ अराजक तत्वों द्वारा नुकसान पहुँचाया गया। इस कृत्य ने न केवल भारतीय मूल के नागरिकों को आहत किया है, बल्कि विश्व भर में गांधी के अनुयायियों और मानने वालों में गुस्सा और निराशा भी पैदा की है।

    यह शर्मनाक घटना 29 सितंबर 2025 को घटी, जब अज्ञात लोगों ने गांधी जी की कांस्य प्रतिमा पर स्प्रे पेंट से अभद्र संदेश लिख दिए और उसके आस-पास गंदगी फैलाकर उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाई।

    स्थानीय नागरिकों और पर्यटकों ने इसकी सूचना तुरंत पुलिस और नगर प्रशासन को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने इलाके को घेर कर जांच शुरू कर दी है। घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की जा रही है, ताकि दोषियों की पहचान की जा सके।

    गांधी जी की यह प्रतिमा ब्रिटेन और भारत के ऐतिहासिक संबंधों की प्रतीक मानी जाती है और 2015 में भारत सरकार और ब्रिटेन के सहयोग से स्थापित की गई थी।

    लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस घटना की तीखी निंदा करते हुए इसे “निंदनीय और अपमानजनक” करार दिया है। उच्चायोग ने ब्रिटिश अधिकारियों से मांग की है कि घटना की गहन जांच की जाए और दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाए।

    भारतीय उच्चायोग ने अपने आधिकारिक बयान में कहा:

    “महात्मा गांधी विश्व के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जिन्होंने मानवता को अहिंसा, सत्य और सहिष्णुता का मार्ग दिखाया। उनकी प्रतिमा पर हमला, इन मूल्यों पर हमला है। हम ब्रिटिश सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह इस कृत्य को गंभीरता से ले और सख्त कार्रवाई करे।”

    इस घटना पर भारत ही नहीं, विश्व भर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं, एनजीओ, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने गांधी प्रतिमा के अपमान पर दुख और आक्रोश प्रकट किया है।

    ब्रिटेन के सांसदों और स्थानीय निकायों ने भी इसे “अस्वीकार्य और निंदनीय” बताया है।

    ब्रिटेन में बसे भारतीय समुदाय ने इस घटना को लेकर विरोध दर्ज कराया है और पार्लियामेंट स्क्वायर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है। इसके साथ ही समुदाय ने यह मांग की है कि सरकार सभी भारतीय सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा को सुनिश्चित करे।

    महात्मा गांधी की यह प्रतिमा लंदन के प्रतिष्ठित स्थान Parliament Square में स्थापित है, जहाँ विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला और अब्राहम लिंकन जैसी हस्तियों की प्रतिमाएं भी हैं।

    यह प्रतिमा अहिंसा और उपनिवेशवाद के खिलाफ गांधी जी के संघर्ष का प्रतीक है। यह 2015 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली की उपस्थिति में अनावरण की गई थी।

    इस प्रतिमा का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार फ़िलिप जैक्सन द्वारा किया गया था। इसे वहां खड़े गांधी जी की शांत मुद्रा में दिखाया गया है, जो विश्व को शांति का संदेश देती है।

    कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कृत्य एक “राजनीतिक या वैचारिक प्रतिक्रिया” हो सकती है। ब्रिटेन में हाल ही में हुए कुछ भारत विरोधी प्रदर्शनों, कश्मीरी अलगाववादी आंदोलनों और खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के संदर्भ में यह घटना एक प्रतीकात्मक हमला मानी जा रही है।

    हाल के महीनों में भारतीय उच्चायोग के बाहर भी विरोध प्रदर्शन और हिंसक घटनाएं देखी गई हैं। ऐसे में यह प्रतिमा पर हमला केवल एक मूर्ति को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि भारत और उसकी सांस्कृतिक विरासत पर हमले के रूप में देखा जा रहा है।

    इस घटना ने ब्रिटेन में सार्वजनिक और ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

    गांधी जी की प्रतिमा जैसे स्मारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए:

    • 24×7 निगरानी

    • CCTV कवरेज बढ़ाना

    • पुलिस गश्त

    • समुदाय की भागीदारी

    जैसे उपायों की मांग अब जोर पकड़ रही है।

    घटना के बाद ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर #ShameInLondon, #RespectGandhi और #IndiaUKSolidarity जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

    भारत के नेताओं, अभिनेताओं, लेखकों और आम नागरिकों ने भी इस पर गुस्सा जाहिर किया है। बहुतों ने यह भी सुझाव दिया कि इस तरह के स्मारकों की डिजिटल सुरक्षा प्रणाली विकसित की जाए।

    लंदन में गांधी प्रतिमा पर हुआ यह हमला सिर्फ एक सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना नहीं है, यह एक वैचारिक हमला है — सत्य, अहिंसा और शांति जैसे मूल्यों पर।

    इस घटना की गंभीरता को समझते हुए भारतीय उच्चायोग की कड़ी प्रतिक्रिया सही दिशा में उठाया गया कदम है।

    अब देखना यह है कि ब्रिटिश प्रशासन कितनी तत्परता से कार्रवाई करता है और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को कैसे रोका जाता है। साथ ही, यह समय है कि दोनों देश मिलकर अपनी साझी विरासत की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।

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