




यमुना डूब क्षेत्र में वर्षों से बसे गरीब परिवारों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। गाजियाबाद प्रशासन ने इन परिवारों को नियमानुसार पट्टा आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस निर्णय के बाद अब इन परिवारों को न केवल सुरक्षित आश्रय मिलेगा बल्कि भविष्य में बेघर होने की आशंका भी समाप्त हो जाएगी।
इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष कमिटी गठित की गई है, जो 30 दिनों के भीतर प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
प्रशासन की प्राथमिकता: गरीब परिवारों को सुरक्षित आश्रय
इस संबंध में एडीएम सौरभ भट्ट ने कहा:
“हमारी पहली प्राथमिकता उन गरीब परिवारों को सुरक्षित जगह देना है, जो यमुना डूब क्षेत्र में वर्षों से रह रहे हैं। उन्हें नियमानुसार पट्टा दिलाने की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ाई जा रही है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासन इन परिवारों को किसी प्रकार की असुरक्षा या विस्थापन की स्थिति में नहीं छोड़ेगा।
भू-माफियाओं पर प्रशासन का कड़ा संदेश
गाजियाबाद प्रशासन ने इस अवसर पर भू-माफियाओं को भी चेतावनी दी। एडीएम ने साफ कहा कि डूब क्षेत्र और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भू-माफियाओं द्वारा इस क्षेत्र में लंबे समय से कब्जा जमाने और गरीब परिवारों का शोषण करने की शिकायतें आती रही हैं। अब प्रशासन की यह सख्त कार्यवाही संकेत देती है कि आने वाले दिनों में अवैध कब्जेदारों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
क्यों ज़रूरी है यह कदम?
यमुना डूब क्षेत्र में बसे गरीब परिवारों की दशा हमेशा से दयनीय रही है। यहाँ बुनियादी सुविधाओं की कमी रही है। बारिश और बाढ़ के समय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अवैध कब्जे के चलते ये परिवार न तो स्थायी मकान बना पाए और न ही सुरक्षित जीवन जी पाए।
पट्टा आवंटन से इन परिवारों को कानूनी अधिकार मिलेगा, जिससे वे न केवल अपने घर को सुरक्षित कर सकेंगे बल्कि सरकार की अन्य योजनाओं का भी लाभ उठा पाएंगे।
कमिटी की भूमिका
गाजियाबाद प्रशासन द्वारा गठित की गई कमिटी का कार्य क्षेत्र के वास्तविक सर्वेक्षण करना है।
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कितने परिवार वास्तव में यमुना डूब क्षेत्र में रह रहे हैं?
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कौन से लोग वाकई गरीब और पात्र हैं?
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किन स्थानों पर भू-माफियाओं ने अवैध कब्जा कर रखा है?
इन सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर 30 दिनों में प्रशासन को सौंप दी जाएगी। इसके बाद ही पट्टे के आवंटन की औपचारिक प्रक्रिया शुरू होगी।
भू-माफियाओं पर लगाम
यमुना डूब क्षेत्र लंबे समय से भू-माफियाओं का गढ़ बना हुआ है। जमीनों पर कब्जा कर इन्हें अवैध रूप से बेचना या किराए पर देना आम बात रही है। प्रशासन की सख्त निगरानी और इस बार का ठोस रुख इस दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर प्रशासन ईमानदारी से इस प्रक्रिया को अंजाम देता है, तो न केवल गरीब परिवारों को स्थायी राहत मिलेगी बल्कि यमुना डूब क्षेत्र को अवैध कब्जों से मुक्त भी कराया जा सकेगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस घोषणा के बाद इलाके के निवासियों ने राहत की सांस ली है। एक स्थानीय निवासी ने कहा:
“हम कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। हर बार बाढ़ आती है तो हमें घर छोड़कर भागना पड़ता है। अब अगर सरकार हमें पट्टा दे देती है, तो हम अपने घर को स्थायी रूप से सुरक्षित बना पाएंगे।”
दूसरे निवासी ने कहा:
“भू-माफियाओं ने हमारी बहुत परेशानियाँ बढ़ाई हैं। अगर प्रशासन उनका अवैध कब्जा हटाए, तो गरीब परिवारों को असली राहत मिलेगी।”
सामाजिक और आर्थिक असर
पट्टे के आवंटन का असर सिर्फ रहने की सुरक्षा तक सीमित नहीं रहेगा। परिवार अब बैंक से लोन ले सकेंगे। सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे। बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच होगी।
यह कदम सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी सकारात्मक साबित होगा।
गाजियाबाद प्रशासन का यह निर्णय गरीब परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है। यमुना डूब क्षेत्र में पट्टा आवंटन से जहां लोगों को सुरक्षित जीवन मिलेगा, वहीं भू-माफियाओं पर अंकुश लगाने का भी ठोस संदेश जाएगा।
एडीएम सौरभ भट्ट का यह ऐलान प्रशासनिक इच्छाशक्ति और आम जनता के हित में बड़े बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।