




गाजा में इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष में 65,000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की जान जा चुकी है। इस भीषण युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 29 सितंबर 2025 को व्हाइट हाउस में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में 20-बिंदुओं का शांति प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
ट्रंप-नेतन्याहू शांति प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु
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तत्काल युद्धविराम: दोनों पक्षों से युद्धविराम की अपील की गई है, जिससे संघर्ष में तत्काल कमी आए।
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बंधकों की रिहाई: 72 घंटों के भीतर सभी बंधकों की रिहाई की शर्त रखी गई है।
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हमास का निरस्त्रीकरण: हमास से गाजा में अपनी सैन्य और राजनीतिक उपस्थिति समाप्त करने की मांग की गई है।
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इजरायली सेना की वापसी: इजरायली बलों की चरणबद्ध वापसी की योजना बनाई गई है।
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अंतरराष्ट्रीय प्रशासन: गाजा के प्रशासन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी निकाय की स्थापना का प्रस्ताव है, जिसमें ट्रंप स्वयं अध्यक्षता करेंगे।
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आर्थिक पुनर्निर्माण: गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना और अंतरराष्ट्रीय सहायता की योजना है।
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हमास के लिए विकल्प: जो हमास के सदस्य निरस्त्रीकरण और शांति की दिशा में कदम बढ़ाएंगे, उन्हें सुरक्षा और पुनर्वास की पेशकश की गई है।
भारत की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के इस शांति प्रस्ताव का स्वागत करते हुए इसे “स्थायी और टिकाऊ शांति, सुरक्षा और विकास की दिशा में एक ठोस कदम” बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी संबंधित पक्ष इस पहल का समर्थन करेंगे और संघर्ष को समाप्त करने में सहयोग करेंगे।
भारत ने हमेशा दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है और इस प्रस्ताव को मध्य-पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना है।
हमास की स्थिति
हालांकि इजरायल और अमेरिका ने इस प्रस्ताव को ऐतिहासिक बताया है, लेकिन हमास ने अभी तक इस पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। गाजा में इजरायली हमलों में 39 और फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई है, जिससे शांति की संभावना पर संदेह उत्पन्न हो रहा है।
ट्रंप और नेतन्याहू का यह शांति प्रस्ताव गाजा संघर्ष के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, हमास की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता इस प्रस्ताव की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगी। भारत की सकारात्मक प्रतिक्रिया इस पहल को अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्रदान करती है, जिससे मध्य-पूर्व में शांति की संभावना मजबूत होती है।