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    1989 में शुरू हुआ ‘आकाश सिनेमा’ बना आर्ट डेको-थीम पर आधारित शानदार मल्टीप्लेक्स: मिराज सिनेमा ने रचा नया इतिहास

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    आकाश सिनेमा: 1989 की विरासत का मिराज सिनेमा ने किया कायाकल्प, अब बना आर्ट डेको थीम पर आधारित अत्याधुनिक मल्टीप्लेक्स
    भारत में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों का एक समृद्ध इतिहास रहा है, लेकिन मल्टीप्लेक्स के दौर में इनमें से कई बंद हो गए या भुला दिए गए। हालांकि, मिराज सिनेमा ने एक अलग रास्ता चुना। उन्होंने विरासत को मिटाने की बजाय उसे नया जीवन देने की ठानी। 1989 में शुरू हुए ‘आकाश सिनेमा’ का कायाकल्प कर उसे एक अत्याधुनिक, आर्ट डेको-प्रेरित मल्टीप्लेक्स में तब्दील कर दिया गया है।

    यह सिर्फ एक रेनोवेशन नहीं, बल्कि एक ऐसे थिएटर का पुनर्जन्म है जो एक समय पर स्थानीय दर्शकों का प्रिय स्थल हुआ करता था।

    आकाश सिनेमा की शुरुआत 1989 में एक पारंपरिक सिंगल स्क्रीन थिएटर के रूप में हुई थी। उस समय यह शहर के लिए गर्व का प्रतीक था, जहाँ हर बड़ी फिल्म के पोस्टर लगते थे और लोगों की भीड़ उमड़ती थी।

    समय के साथ जैसे ही मल्टीप्लेक्स संस्कृति ने रफ्तार पकड़ी, और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने लोगों के देखने के तरीके को बदल दिया, आकाश सिनेमा की चमक फीकी पड़ने लगी। कम दर्शक, खराब तकनीक, और जर्जर होती संरचना के चलते यह थिएटर लगभग बंद होने की कगार पर था।

    मिराज सिनेमा ने जब इस सिनेमा को अधिग्रहित किया, तो उन्होंने इसे केवल कॉमर्शियल दृष्टिकोण से नहीं देखा, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और भावनात्मक विरासत को भी समझा।

    मकसद था—पुराने गौरव को आधुनिक तकनीक और डिज़ाइन के साथ फिर से जीवंत करना। और यही हुआ।

    आर्ट डेको (Art Deco) एक ऐसी डिज़ाइन शैली है जो 1920-30 के दशक में फ्रांस और अमेरिका से शुरू हुई थी और जिसे ऐश्वर्य, ज्योमेट्री, और सिमेट्री के लिए जाना जाता है। मिराज ने इसी शैली को चुना आकाश सिनेमा को नया रूप देने के लिए।

    प्रमुख डिज़ाइन और तकनीकी बदलाव:

    • फेसाड (बाहरी स्वरूप): थिएटर के बाहर को आर्ट डेको थीम पर सजाया गया – सिंपल लेकिन शाही दिखने वाला।

    • लॉबी और एंट्रेंस: जियोमेट्रिक पैटर्न्स, गोल्डन हाइलाइट्स, और रेट्रो लाइटिंग का बेहतरीन इस्तेमाल।

    • सीटिंग और स्क्रीनिंग हॉल: लेदर सीट्स, अधिक लेग स्पेस, और डॉल्बी एटमॉस ऑडियो के साथ 4K प्रोजेक्शन।

    • डिजिटल इंटीग्रेशन: मोबाइल ऐप, कियोस्क बुकिंग, ई-फूड ऑर्डरिंग जैसी सुविधाएं।

    मल्टीप्लेक्स के रूप में आकाश सिनेमा अब सिर्फ एक मूवी दिखाने की जगह नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव बन चुका है।

    • बच्चों के लिए प्ले एरिया

    • बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए एक्सेसिबिलिटी फीचर्स

    • थीम आधारित कैफे और रेट्रो थीम वेटिंग लाउंज

    इस कायाकल्प ने सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं बदले, बल्कि लोगों की यादों को फिर से जीवंत किया।
    एक स्थानीय बुजुर्ग दर्शक कहते हैं:

    “हमने यहां अमिताभ बच्चन की ‘शहंशाह’ देखी थी जब थिएटर नया था। अब उसी जगह अपने पोते के साथ उसी थियेटर में फिल्म देखना, वो भी इस शानदार रूप में – ये एक सपना जैसा है।”

    जहाँ बाकी कंपनियां पुरानी संपत्तियों को तोड़कर मॉल या टॉवर बना रही हैं, मिराज ने एक ऐसी संपत्ति को पुनर्जीवित किया जो ना केवल सामाजिक दृष्टिकोण से मूल्यवान है, बल्कि व्यवसायिक रूप से भी सफल हो सकती है।

    • कम लागत में पुनर्निर्माण

    • पहले से स्थापित ब्रांड वैल्यू

    • समुदाय से भावनात्मक जुड़ाव

    • नई पीढ़ी के लिए हाई-टेक एक्सपीरियंस

    मिराज सिनेमा ने साबित किया है कि अगर सोच में नवाचार हो और दृष्टिकोण में संवेदनशीलता, तो कोई भी पुरानी विरासत फिर से जीवित की जा सकती है। आकाश सिनेमा अब सिर्फ एक थिएटर नहीं, बल्कि पुरानी यादों और नए अनुभवों का संगम है।

    यह प्रोजेक्ट उन सभी थिएटर मालिकों और आर्किटेक्ट्स के लिए प्रेरणा है, जो सोचते हैं कि सिंगल स्क्रीन का दौर खत्म हो चुका है।

    आकाश सिनेमा का कायाकल्प यह सिखाता है कि विरासत को मिटाना नहीं, बल्कि संवारना चाहिए – और मिराज सिनेमा ने यह काम पूरी शान और संवेदनशीलता के साथ किया है।

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